April 24, 2013

Anil writes from Betul

आजमाले आजमाले आज खुद को आजमाले , फिरता है तू कबसे ये दिल सम्हाले||

   बोल क्यों ये लब(होंठ) पर रुके है, तेरे सजदे में झुके है,पल पल बिखरे है कितने उजाले(प्रेरणा), क्या करू क्या सोचता है,चैन दिल का ढूंढता है, अपनी किस्मत को जगा ले, बीच का पर्दा(खुद और खुद के बीच में) उठाले, आजमाले 
आजमाले आजमाले आज खुद को आजमाले , फिरता है तू कबसे ये दिल सम्हाले||
अपने गम(हकलाना एक खेल समझो) से खेलता है , दर्द कितने झेलता है, सोचता है तू कुछ और बोलता कुछ और है,
दर्द कितने झेलता है, सोचता है तू कुछ और बोलता कुछ और है, अपने दिल को तू मनाले बीच का पर्दा उठाले, आजमाले, आजमाले आजमाले आज खुद को आजमाले , फिरता है तू कबसे ये दिल सम्हाले||
कश्मकश को छोड़ दे तू, रुख हवा का मोड़ दे तू(हकलाने वाले महान काम भी कर सकते है), खाली पैमाना(सामाजिक व्यक्तित्व) है तेरा, हो सके तो भर ले इसे तू, 
कश्मकश को छोड़ दे तू, रुख हवा का मोड़ दे तू, खाली पैमाना है तेरा, हो सके तो भर ले इसे तू, 
एक नयी महफ़िल(दुनिया में एक अपनी जगह ) सजाले तू, बीच का पर्दा उठा  
ले तू, आजमाले आजमाले आज खुद को आजमाले , फिरता है तू कबसे ये दिल सम्हाले||

4 comments:

प्रभु ! कृपा हि केवलम् said...

great Anil ji, try to enhance your writing skill. TISA needs some more volunteer for TISA magazine hindi section.

Anonymous said...

Good thoughts !!

Though writing in bad typos is no excuse by any means..considering the blog has agood viewer ship..

Satyendra said...

Anil- just keep writing; dont worry too much about how it comes thru.. Your thoughts are more important than the language- and I am sure someone will correct it, especially, for samwad..
Write more!

Anonymous said...

बहुत अच्छा