November 11, 2012

मंगलमय दीपावली . . . !

दीपावली भारतीय समाज का प्रतिनिधि पर्व है। यह पर्व खुशिओं की सौगात लेकर आता है। हर कोई उत्साह और उमंग का अनुभव करता है। 

इस अवसर पर दीपक का खास महत्त्व है। इसके बिना दिवाली अधूरी है। दिया जलता है, संसार को रोशन करने के लिए, लेकिन उसे कई चुनौतिओं का सामना करना पड़ता है। कहीं हवा का तेज झोका, तो कोई कीट पतंगा उसे बुझाने पर अमादा रहते हैं। फिर भी दिया अंतिम समय तक जलता है, दूसरों के लिए। परहित में ही उसे सच्चा सुख मिलता है, इसी में उसे अपना जीवन सार्थक लगता है। 

इस दिवाली पर हमें भी कुछ ऐसा करने का संकल्प लेना चाहिए तो हमारे जीवन को सार्थक बनाता हो, हमारी हर सांस को अर्थपूर्ण करता हो। 

जरा इन बातों पर गौर कीजिए :-

1. हम हकलाने वाले इस बात की शिकायत करते हैं की समाज में, परिवार में कोई हमारी बात को, हमारी समस्या को समझने की कोशिश नहीं करता। लेकिन जरा हम खुद सोचें की हमने कब-कब किसे समझने, जानने की कोशिश की? कुछ देने से पहले कुछ पाने की चाह। यह तो संभव नहीं। इसलिए यह संकल्प लें की हम सबको जानने, समझने, उनकी भावनाओं, रुचिओं का सम्मान करेंगे। इसके बाद आप देखेंगे की दूसरे लोग भी आपमें रूचि लेने लगेंगे।


2. हम अक्सर आपनी बात को बोल देना चाहते हैं। हम सुनना नहीं चाहते, जबकि बेहतर संचार का प्रमुख नियम तो यह है की हम सबसे पहले सुनने की आदत को विकसित करें। दूसरों को सुनने का साहस रखें। जब आप ऐसा करेंगे तो दुसरे भी आपकी बात सुनेगे।  

3. कई बार बातचीत का मुख्य विषय दूसरों की, सरकार की, प्रसाशन की या किसी की आलोचना करना, उसकी कमिओं या बुराइओं के बारे में बात करना और इसके समर्थन में अपने तर्क देना होता है। इससे हम अपने कीमती समय और उर्जा की निर्मम हत्या खुद ही करते हैं। हम दूसरों को तो सुधार नहीं सकते लेकिन खुद जब भी ऐसा मौका आए वहां से दूर जाने की कोशिश करें।    

4. हम हकलाहट के कारण तनाव में रहते हैं। अगर आप थोडा अपने घर से बाहर निकलकर देखें तो आपको और भी कई दुखी लोग मिल जाएंगे तो आपसे भी ज्यादा परेशान हैं। एक फ़िल्म का गाना है "दुनिया में कितना गम है मेरा गम फिर भी कम है।" और हकलाहट गम का नाम नहीं है, बल्कि एक नई सोच के साथ जीने का नाम है। हर फिक्र को धुएं में उडाता चला गया यानी हमेशा, हर हाल में खुश रहना सीख लिया। 

5. हकलाहट को जीवन की एक विविधता एक रूप में स्वीकार करें। हमारे हाथ की सारी उंगलियाँ एक बराबर नहीं हो सकती और अगर होती तो हम निश्चित तौर पर कुशलता से वे सारे काम नहीं कर पाते जो आज कर पाते हैं। फिर सभी लोग एक जैसा बोल पाएं यह भी जरूरी नहीं। 


हर समय खुश रहें, उमंग और उत्साह से लबरेज रहें यही सन्देश है दीपावली का . . . !



मंगलमय हो दीप पर्व,

आपके जीवन में नित दिवाली हो,

प्यार भरी राहों में

महक उठे जग सारा,

गरिमामय हरियाली हो . . . !

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Amitsingh Kushwah
Bhopal (MP)
Mo. 0 9 3 0 0 9 3 9 7 5 8 

3 comments:

Satyendra said...

Happy Deepawali to everyone!

GORAV DATTA - I am Learning said...

Happy diwali and this diwali will bring good health and prosperity for all of us .

We all are blessed

Harish Usgaonker said...

Happy Dipawali to one and all in TISA.