February 17, 2012

शर्म को छोड़ें . . . !

कुछ दिन पहले एक PWS दोस्त का फ़ोन आया था और उन्होंने मुझे पहली बार कॉल किया था। इस दोस्त ने मुझसे पूछा कि क्या आप हमेशा बाउंसिंग करके ही बात करते हैं। मैंने उन्हें उत्तर दिया कि हाँ, मैं हमेशा ऐसी कोशिश करता हूँ। इस पर उस दोस्त ने कहा कि बाउंसिंग में बात करते समय आपको शर्म नहीं आती, या फिर आप बचपन से ही ऐसे हैं? इस प्रश्न को सुनकर मुझे जरा भी हैरत नहीं हुई, क्योंकि हर हकलाने वाले व्यक्ति के साथ कभी न कभी ऐसा होता है, वह चाहकर भी बाउंसिंग या किसी दूसरी तकनीक का इस्तेमाल करने में हिचकिचाता है, शर्माता है।

अब जिन्दगी का गणित देखिये -

एक इंसान कि औसत उम्र = लगभग 60 साल
हमारी
वर्तमान उम्र = 25 साल या इससे अधिक
हमने
शर्म करके गुजारी = लगभग आधी जिन्दगी
शर्म
करके मिला = कुछ नहीं

. . . तो जब आपने शर्म करके अपनी आधी जिन्दगी सिर्फ अपनी हकलाहट को छुपाने में गुजार दी और मिला कुछ नहीं, तो अब ज़रा शर्म को छोड़कर देखिये, आप अपने आपको बेहतर मुकाम पर पाएंगे। यानी हकलाहट को खुले मन से स्वीकार करें और बाउंसिंग या जो भी तकनीक अपनानी हो उसका सब जगह इस्तेमाल करने में संकोच या शर्म महसूस न करें।

- अमितसिंह कुशवाह
Mo : 0 9 3 0 0 9 - 3 9 7 5 8

3 comments:

Er. Umesh said...

Wow!! great post..Amit you always define the complex things by giving just simple and realistic examples. excited to meet you in delhi. You are a great motivator of all pws..

Satyendra said...

धन्यवाद अमित, हिन्दी मे बहुत कुछ लिखे जाने की जरूरत है- आपने एक अच्छी शुरुआत की है !
सचिन

Sid said...

especially the maths