September 20, 2016

NC Goa 2016 : Amazing Stammering... (अद्भूत हकलाहट)

अपने सपनों को साकार होते हुए देखना हर व्यक्ति के लिए एक सुखद अनुभव होता है। टीसा द्वारा गोवा में 16-18 सितम्बर, 2016 को आयोजित नेशनल कान्फ्रेन्स में ऐसा ही नजारा देखने को मिला। अपनी विविधता (हकलाहट) का उत्सव मनाने के लिए देशभर से लगभग 100 से अधिक हकलाने वाले साथियों, अभिभावकों और दोस्तों की उपस्थिति ने माहौल को खुशनुमा बना दिया।


समुन्दर की लहरों के किनारे स्थित Varca Le Plams Beach Resor, Goa में आनन्द और मस्ती का ऐसा समागम हुआ, जो यहां आने वाले हर हकलाने वाले साथी के लिए जीवनभर यादगार रहेगा।
जीवन के कई साल धाराप्रवाह बोलने की दौड़ में गुजारने वाले साथी मंच पर आकर बोलने के लिए आतुर दिखाई दिए। यहां हकलाने की पूरी आजादी थी। हर कोई मंच के सामने अपने मन की बात कह देना चाहता था। ऐसा लग रहा था जैसे हर हकलाने वाले को बोलने में आज कोई डर, झिझक या शर्म कोसों दूर भाग गई हो। इसको देखते हुए हर समूह को बोलने का पूरा अवसर प्रदान किया।
पहले दिन राजस्थान के एक साथ जिन्हें लोगों ने मिस्टर बेशर्म की संज्ञा दी, उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया की अब वे पक्के बेशर्म हो गए हैं। अब उन्हें हकलाने में कोई शर्म नहीं आती। आप चाहे हकलाकर बोलें या धाराप्रवाह किसी दुकान पर शक्कर तो 40 रूपए प्रतिकिलो ही मिलेगी। धाराप्रवाह बोलने से शक्कर का भाव कम नहीं हो जाएगा। तो फिर खुलकर हकलाइए...
इस मौके पर हकलाने वाली युवतियों ने भी सहभागिता की और हकलाहट के बारे में खुलकर अपने अनुभवों, विचारों और कोशिशों को सबके सामने बांटा।
पहली रात एक फन पार्टी भी आयोजित की गई। इसमें हकलाने वाले साथियों ने हकलाहट से जुड़े रोचक एवं हास्यास्पद पहलुओं को हमारे सामने रखकर हंसी से लोटपोट कर दिया। खासकर हरीश उसगांवकर ने एक सीन क्रियेट किया, जिसमें अगर बाॅलीबुड के स्टार हमारी इस एन.सी. में आ गए तो वे किस तरह अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगे, इस प्रस्तुति पर सभी को खूब हंसी आई।
दूसरे दिन की सुबह कई साथियों ने समुद्र के किनारे पर जाकर प्रकृति की सुंदरता को निहारा और महसूस किया, तो कुछ ने स्वीमिंग पुल पर तैरने का मजा लिया।
एक सबसे रोचक और मनोरंजक गतिविधि थी- रोलप्ले (नाटक खेलना)। इसके लिए सभी प्रतिभागियों को 5 समूहों में बांटकर एक-एक टाॅपिक दिया गया। इसमें हकलाहट और हंसी दोनों का समावेश करते हुए नाटक खेलना था। इसमें सामाजिक बदलाव की एक अप्रत्याशित झलक उस समय दिखाई दी, जब एक दृश्य में विवाह के रिश्ते की बातचीत के दौरान वधु सहित उसके सभी परिजन हकलाते हैं, और वर पक्ष के भी सभी रिश्तेदार हकलाते हैं। लेकिन लड़का नहीं हकलाता। धाराप्रवाहिता को एक कमी मानते हुए वधुपक्ष दहेज की मांग करता है। यह दृश्य वर्तमान परिवेश की ठीक उलट है, लेकिन हकलाने वाले लोगों के लिए बहुत प्रेरणादायी है।
तीसरे दिन टीसा के कुछ वरिष्ठ सदस्यों डा. आकाश आचार्य, वीरेन्द्र सिरसे आदि ने पाॅवरपाइन्ट प्रेजेन्टेशन के माध्यम से हकलाहट के बारे में अपने अनुभव, प्रयासों और सफलताओं पर विस्तार से चर्चा कर सभी को जागरूक किया। कुल मिलाकर इस एन.सी. में सभी हकलाने वाले साथियों और उनके परिजनों को एक नया अनुभव मिला, एक अद्भुत हकलाहट को सबने देखा। अद्भुत इसलिए क्योंकि एन.सी. में आने से पहले तक उनका हकलाना एक बोझ था, लेकिन यहां आकर सबने जाना की हकलाना मानव जीवन की विविधता है, यह भी जीवन का एक हिस्सा है।
अंतिम दिन टीसा के लिए सक्रिय योगदान देने वाले साथियों को पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र संस्थापक डा. सत्येन्द्र श्रीवास्तव के हाथों प्रदान किया गया।
इस आयोजन को सफल बनाने में टीसा के कोआर्डिनेटर हरीश उसगांवकर, ध्रुव गुप्ता, विशाल गुप्ता, ध्यानेश केकर सहित गोवा स्वयं सहायता समूह के सभी सदस्यों ने कड़ी मेहनत की थी और उन्हें के प्रयासों से यह अद्भुत कार्यक्रम सफल हो पाया।
टीसा की ओर से NC में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को हार्दिक धन्यवाद।
- अमितसिंह कुशवाह,
सतना, मध्यप्रदेश।
09300939758

2 comments:

Satyendra said...

इस बार, पहले की तरह, कोई भी NC की रिपोर्टिंग दिन प्रति दिन नहीं कर पाया - मगर इस कमी को अमित, आप ने कुछ हद तक दूर कर दिया , इस लेख के द्वारा जो संक्षेप में तीन दिनों का सार दे देता है - और वह भी हिंदी में ! बहुत बहुत धन्यवाद्!

ABHISHEK said...

Is post ko padh kar nc mein bhag lene jaisi anubhuti hui.. thanks Amitji