मेरा नाम प्रियंका श्रीवास्तव है। मैं मुम्बई स्थित एक कम्पनी में आईटी प्रोफेशनल के रूप में जाब कर रही हूं। मैं हकलाती नहीं हूं, लेकिन हकलाने वाले लोगों की मदद करना चाहती हूं। मुझे खण्डाला (पुणे) में टीसा की नेशनल कांन्फ्रेन्स आयोजित होने की जानकारी मिली तो मुझे लगा कि एक बार जाकर हकलाने वाले लोगों से मिलना चाहिए। इस एन.सी. में आकर कई हकलाने वाले व्यक्तियों के विचार और अनुभव को जानने-समझने का मौका मिला। यहां आकर मैंने संचार की कई बारीकियों को सीखा। अक्सर लोग सुनना नहीं चाहते, सिर्फ बोलने की कोशिश करते हैं। मुझे यहां आकर ज्ञान हुआ कि बेहतर संचार के लिए दूसरों की बात धीरज के साथ सुनना भी बहुत जरूरी है। जब तक आप दूसरों की बात ठीक तरह से नहीं सुनते तब तक आप एक अच्छे संचारकर्ता कैसे हो सकते हैं? यह नजरिया आईटी प्रोफेशनल के लिए भी बहुत जरूरी है। ध्यान से सुनकर ही हम दूसरों की बातों, विचारों, संदेशों और भावनाओं को समझ सकते हैं। इसके बाद हम उसके अनुरूप बोलेंगे तो हमारा कम्प्यूनिकेशन बहुत अच्छा होगा। धन्यवाद टीसा के सभी लोगेों को, जिन्होंने मुझे बोलने का मौका दिया और इस एन.सी. के सुखद और प्रेरणादायी अनुभवों को प्राप्त करने का सौभाग्य मुझे मिला।
(जैसा उन्होंने टीसा को बताया)
(जैसा उन्होंने टीसा को बताया)
7 comments:
insppiring
Good interview, Amit. Let us have more about nc from you...
धन्यवाद
अमित और प्रिया
अगले राष्ट्रीय सम्मेलन में देखने की उम्मीद है.
Thanks Amit for sharing this, yes Listening skills are as important as speaking skills.
I think the day one understand that "listening" and "hearing" are not the same word,communication will take care of itself.
Good one ! Great to know her intention to help PWS.
Great!!
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