उत्कर्ष त्रिपाठी अपने पिता अरविन्दकुमार त्रिपाठी के साथ. |
मुझे सिर्फ यह मालूम था कि मेरा बेटा उत्कर्ष कभी-कभी बोलते समय अटक जाता है। मैंने इस साल जुलाई 2014 में बेटे का एडमीशन बी.टेक. में करवा दिया। कालेज ज्वाइन करने के कुछ दिनों बाद उत्कर्ष ने मुझे फोन पर बताया कि वह हकलाता है और इस कारण बी.टेक. छोडना चाहता है। मैंने उससे कहा कि 2,50,000 रूपए फीस के जमा किए हैं उसका क्या होगा? मेरे बेटे ने कहा कि 4 साल में 10,00,000 रूपए बर्बाद हो जाएंगे? मैंने अपने बेटे से कहा कि मुझे 10 अक्टूबर तक समय दे दो उसके बाद चाहे तो बी.टेक. छोड देना।
बेटे से फोन पर यह सब सुनकर मेरे सपने धराशायी हो गए। मेरे सामने ढेरों सवाल उठ खडे हुए। आखिर लोग क्या कहेंगे? जब लोग पूछेंगे कि आपके बेटे ने बी.टेक. क्यों छोडा, तो उन्हें क्या बताउंगा?
सौभाग्य से उसी दौरान मेरे बेटे ने डा. सत्येन्द्र श्रीवास्तव का फोन नम्बर मुझे दिया। उनसे बातचीत करके काफी अच्छा लगा। उन्होंने बताया कि खण्डाला (पुणे) में टीसा की नेशनल कांफ्रेन्स होने वाली है, आप वहां आइए आपको बहुत कुछ मिलेगा। मैंने डा. श्रीवास्तव की बात से संतुष्ट होते हुए और कुछ नया पाने की आशा में अपने बेटे को साथ लेकर इस एन.सी. में आया हूं।
इस एन.सी. आकर वाकई हकलाहट के बारे में काफी कुछ नया और अच्छा जानने, सीखने और समझने का मौका मिला है। इस एन.सी. में शामिल होने के बाद मेरे बेटे उत्कर्ष ने बी.टेक. छोडने का मन बदल दिया है। अब वह बी.टेक. करेगा और अपने संचार पर भी वर्क करेगा। यह सब एन.सी. का ही चमत्कार है।
मेरा मत है कि टीसा हकलाहट पर सकारात्मक नजरिए का विकास करने के साथ ही व्यक्तित्व विकास का भी मंच है। यहां पर देशभर से आए हकलाने वाले युवाओं को देखकर लगता है कि यही देश के भविष्य हैं। आप सबमें ढेर सारी प्रतिभा और क्षमता है। आप सब निश्चित ही अपने जीवन में सफल होंगे। मैं सभी हकलाने वाले युवाओं को धन्यवाद और शुभकामनाएं देता हूं।
(जैसा उन्होंने टीसा को बताया)
3 comments:
बहुत सुन्दर व प्रेरणादायक..
This is one of the highest of its kind blog from a Father!!!
All the best & keep us en-lighted.
Only Father can knows plight of a Father.
Thanks for sharing!
Thanks to Amit singh for sharing my thoughts to all.
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