आज फिर ज़िंदगी जीतने निकला हु,
क्या हुअ अगर में हकला हु.
आवाज़ मेरी कमज़ोर सही , इरादे मेरे फौलादी है ,
ज़ुबान मेरी लाचार सही , कलम मेरी तलवार है।
चल पड़ा हु ज़िन्दगी के पथ पे , होके निडर,
मेहनत करूँगा भरपूर , नतीजे क्या होंगे किसको है फिकर !
आज फिर ज़िन्दगी जीतने निकला हु ,
क्या हुआ अगर मैं हकला हु !!
दिनेश
4 comments:
बहुत सुन्दर लफ्ज और जज्बात ...
बधाई हो ..
Very nice
Beautiful expression ... आपके साथी बहुत नसीबवालें हैं कि आपके जैसा लीडर मिला।
bahut badhiya kavita hai...
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