February 26, 2014

Kya hua agar me hakla hu..


आज फिर ज़िंदगी जीतने निकला हु,
क्या हुअ अगर में हकला हु.

आवाज़ मेरी कमज़ोर सही , इरादे मेरे फौलादी है ,
ज़ुबान मेरी लाचार सही , कलम  मेरी तलवार है।

चल पड़ा हु ज़िन्दगी के पथ पे , होके निडर,
मेहनत करूँगा भरपूर , नतीजे क्या होंगे किसको है फिकर !

आज फिर ज़िन्दगी जीतने निकला हु ,
क्या हुआ अगर मैं हकला हु !!

दिनेश 

4 comments:

Satyendra said...

बहुत सुन्दर लफ्ज और जज्बात ...
बधाई हो ..

Animesh said...

Very nice

Tarak said...

Beautiful expression ... आपके साथी बहुत नसीबवालें हैं कि आपके जैसा लीडर मिला।

Unknown said...

bahut badhiya kavita hai...