May 19, 2013

बहादुर युवती ने लौटाई बारात ...!


यह घटना सतना जिले के एक गांव की है। एक आदिवासी युवती ने दहेजलोभी दूल्हे से शादी करने से इंकार कर साहसिक कदम उठाया है। यह सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन की मिसाल है, जो नारियों की बहादुरी और स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता उजागर करती है। यह समाज और परिवार के डर एवं शर्मिंदगी से उबरकर उठाया गया ऐसा कदम है, जो दहेजलोभियों को सबक सिखाने के लिए काफी है। और सबसे सुखद बात यह है कि ऐसी घटनाएं सामने आने के बाद कई योग्य वर खुद लड़की से दहेजरहित विवाह का प्रस्ताव रखकर अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।


इससे हमें यह सीख मिलती है कि डर और शर्म चाहे किसी भी प्रकार की हो जब तक बनी रहेगी और हम उसका लिहाज करके चुपचाप बैठे रहेंगे तब तक यह हमारी जिन्दगी में ढेरों मुश्किलें खड़ी करते रहेंगे। यही स्थिति हम हकलाने वाले व्यक्तियों की होती है। हम डर, शर्म और संकोच के कारण दूसरे लोगों से हकलाहट के बारे में खुलकर बात नही करते, उनके सामने हकलाहट को स्वीकार नहीं करते और यही डर हमारे जीवन में नित नई चुनौतियां उत्पन्न करता है। 

आज जरूरत इस बात की है कि बहादुरी से काम लिया जाए। हमारी हिम्मत ही हकलाहट के डर का सामना करने की ताकत देती है। जब हम लोगों के सामने हकलाहट पर खुलकर बात करते हैं और इसे स्वीकारते हैं, तब नए रास्ते बनते हैं। लोग हमारी बात को सुनने, समझने और सपोर्ट करने के लिए आगे आते हैं। यह सम्भव है थोड़ा हिम्मत कीजिए!

यह एक सच्ची घटना है. 


- अमितसिंह कुशवाह,
सतना, मध्यप्रदेश।
मो. 09300939758 

3 comments:

Satyendra said...

काश ऐसा हौसला हकलाने वालों मे होता..अपनी तकदीर और समाज की सूरत बदल के रख देते वे..

Anonymous said...

What an inspiring and TRUE story!
Kamal

lalit said...

g8t,heroic act, it will also help other girl to raise voice against this type of act