April 9, 2019

मेरी पहली ध्यान केन्द्रित कार्यशाला






मैं राकेश जायसवाल। हाल ही में तीसा की विकासनगर देहरादून में आयोजित संचार कार्यशाला वर्जन-2 का हिस्सा बना। वैसे तो मैं कई कार्यशालाओं में भागीदारी कर चुका हूं, लेकिन यह कार्यशाला थोड़ी अलग रही। अलग इन अर्थों में की तीसा ने पहली बार अपनी कार्यशाला में ध्यान को प्रमुखता से शामिल किया। हम सभी साथी प्रतिदिन सुबह 7 बजे से शाम  7.30 तक सत्र के हिसाब से कुल 6 घंटे ध्यान करते थे और बाकी समय में हम हकलाहट और संचार से जुड़ी तमाम बारीकियों पर बातचीत करते थे। मुझे इस कार्यशाला में आने से बहुत लाभ हुआ और हकलाहट के साथ ही ध्यान की गहनतम गहराईयों में जाने और उसे समझने का अवसर मिला।वैसे देखा जाए तो हमारी हकलाहट में भी ध्यान की बहुत अहम भूमिका है, क्योंकि भले ही हकलाहट जुबान पर होती है, पर उसकी जड़ें कहीं ना कहीं हमारे अंतर्मन  से ही जुड़ी हुई होती हैं। ध्यान के जरिए हम उस तक पहुंच सकते हैं और अपनी हकलाहट को काफी हद तक नियंत्रित भी कर सकते हैं। प्राकृतिक सौंदर्य के बीच हम सभी साथियों ने इस कार्यशाला में ध्यान और संचार के नए पहलुओं को बारीकी से महसूस किया। 

- राकेश जायसवाल, उत्तरप्रदेश।
मो. 7275939750

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