मैंने 2 दिन पहले एक नया जाब ज्वाइन किया है। सर्वशिक्षा अभियान में मोबाइल स्त्रोत सलाहकार की पोस्ट पर। यह स्कूल शिक्षा विभाग के तहत है।
आज जिला मुख्यालय पर हमारी बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक की जानकारी मुझे पहले ही मिल गई थी। इस मीटिंग में राज्य स्तर के एक अधिकारी, जिला स्तर के 2 अधिकारी शामिल हुए। मैंने इस मीटिंग को एक चुनौती के रूप में लिया।
मीटिंग की शुरूआत में जब अपना परिचय देने की बात आई तो मैंने कहा- मे-मे-मेरा ना-ना-नाम अ-अ-अमित। इस तरह पूरा परिचय बाउंसिंग तकनीक का इस्तेमाल करते हुए दिया। और अंत में कहा- मैं बोलने में हकलाता हूं।
इस मीटिंग में कुल 16 लोग थे और उसमें से सिर्फ एक व्यक्ति को मेरी हकलाहट पर थोड़ा हंसी आ रही थी। बाकी सभी लोग सामान्य तरीके से मेरी बात सुन रहे थे। यहां तक कि बड़े अधिकारियों ने भी मेरी हकलाहट पर आश्चर्य व्यक्त नहीं किया और एकदम नार्मल व्यवहार किया। मीटिंग के बाद भी किसी ने मेरी हकलाहट के बारे में कोई चर्चा नहीं किया।
आज मैंने एक चैलेंज के साथ साहस दिखाया और अपनी हकलाहट को सबके सामने स्वीकार करके एक कदम और आगे बढ़ाया। अब जब भी मीटिंग होगी तो मैं वाउंसिंग में ही बात करूंगा।
मुझे यह अहसास हुआ कि हमारा हकलाना कई लोगों के लिए एक सामान्य बात है। हम हकलाने वाले ही अन्दर ही अन्दर कुण्ठित, डरे हुए रहते हैं कि पता नहीं हमारे हकलाने पर क्या हो जाएगा? इसका एक ही इलाज है थोड़ा साहस करना और हकलाहट को स्वीकार कर लेना। फिर महसूस कीजिए हकलाहट को स्वीकार करने का आनन्द।
- अमितसिंह कुशवाह
सतना, मध्यप्रदेश।
09300939758
आज जिला मुख्यालय पर हमारी बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक की जानकारी मुझे पहले ही मिल गई थी। इस मीटिंग में राज्य स्तर के एक अधिकारी, जिला स्तर के 2 अधिकारी शामिल हुए। मैंने इस मीटिंग को एक चुनौती के रूप में लिया।
मीटिंग की शुरूआत में जब अपना परिचय देने की बात आई तो मैंने कहा- मे-मे-मेरा ना-ना-नाम अ-अ-अमित। इस तरह पूरा परिचय बाउंसिंग तकनीक का इस्तेमाल करते हुए दिया। और अंत में कहा- मैं बोलने में हकलाता हूं।
इस मीटिंग में कुल 16 लोग थे और उसमें से सिर्फ एक व्यक्ति को मेरी हकलाहट पर थोड़ा हंसी आ रही थी। बाकी सभी लोग सामान्य तरीके से मेरी बात सुन रहे थे। यहां तक कि बड़े अधिकारियों ने भी मेरी हकलाहट पर आश्चर्य व्यक्त नहीं किया और एकदम नार्मल व्यवहार किया। मीटिंग के बाद भी किसी ने मेरी हकलाहट के बारे में कोई चर्चा नहीं किया।
आज मैंने एक चैलेंज के साथ साहस दिखाया और अपनी हकलाहट को सबके सामने स्वीकार करके एक कदम और आगे बढ़ाया। अब जब भी मीटिंग होगी तो मैं वाउंसिंग में ही बात करूंगा।
मुझे यह अहसास हुआ कि हमारा हकलाना कई लोगों के लिए एक सामान्य बात है। हम हकलाने वाले ही अन्दर ही अन्दर कुण्ठित, डरे हुए रहते हैं कि पता नहीं हमारे हकलाने पर क्या हो जाएगा? इसका एक ही इलाज है थोड़ा साहस करना और हकलाहट को स्वीकार कर लेना। फिर महसूस कीजिए हकलाहट को स्वीकार करने का आनन्द।
- अमितसिंह कुशवाह
सतना, मध्यप्रदेश।
09300939758
3 comments:
सचमुच आप वीर चक्र के अधिकारी हैं...
बहुत अच्छा अमित भाई...
और सचिन सर superlike...
The one who smiled- I am not sure how he is in education department. He might as well be in Bollywood and do some comedy..Just my two bit!
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