Patrika Newspaper, Satna
कहने
को तो हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है, लेकिन इसके साथ सौतेला व्यवहार करने में
लोग जरा भी नहीं हिचकते। कई महाशय बड़ी शान से कहते हैं अरे! मुझे हिन्दी
नहीं आती! दुर्भाग्य से हिन्दी जानने, समझने और प्रयोग वाले व्यक्तियों को
हेय दृष्टि से देखा जाता है।अफसोस, हमने ऐसे समाज का निर्माण कर लिया है
जिसके पास अपनी भाषा तक नहीं है। परिणामस्वरूप हिन्दीभाषियों के लिए शिक्षा
और रोजगार के अवसर बहुत सीमित हो गए हैं। बच्चों और युवा पीढ़ी पर जबरन
अंग्रेजी सीखने का दबाव बढ़ रहा है। जबकि सर्वविदित है कि हिन्दी हर पहलू
से सबसे सम्पन्न भाषा है। विज्ञान, तकनीक और कम्प्यूटर का ज्ञान हिन्दी
भाषा और देवनागरी लिपि में आसानी से दिया जा सकता है। दुःख का विषय है कि
ऐसा अबतक नहीं हो सका।
हिन्दी दिवस अपनी भाषा का
सम्मान करने और उसके प्रति गौरव महसूस करने का दिन है। यह दिन महज एक रस्म
अदायगी न बनकर हमारे जीवन का हिस्सा बन जाए तो अधिक श्रेयस्कर होगा। वर्ष
में एक बार नहीं, बल्कि हर दिन हिन्दी दिवस माना जाए। आइए देखते हैं कि
कैसे हम सब हिन्दी को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे सकते हैं:-
1. हर अवसर पर केवल हिन्दी में हस्ताक्षर करने की आदत विकसित करें।
2. हिन्दी में बातचीत करें और अनावश्यक रूप से अंग्रेजी के शब्दों/वाक्यों का समावेश न करें।
3. अपने घर/कार्यालय में नाम पट्टिका, सूचना आदि हिन्द में लगाएं।
4. समस्त पत्र, आवेदन पत्र, शिकायती पत्र हिन्दी में लिखिए।
5. यदि शुल्क देकर कोई सेवा या सुविधा प्राप्त कर रहे हों तो फार्म, नियमों की जानकारी, भुगतान रसीद की हिन्दी में मांग करें।
6. अपना मोबाइल नम्बर हमेशा हिन्दी में बताएं। साथ ही हर अवसर पर हिन्दी के अंकों/संख्याओं को बोलें।
7.
कार्यालय, संस्था, संगठन के परिचय पत्र, लेटरपेड, पोस्टर, बैनर, स्टीकर,
विज्ञापन और अन्य स्टेशनरी हिन्दी में छपवाएं और इस्तेमाल करें।
8. मोबाइल/ई-मेल पर हिन्दी में संदेश भेजना शुरू करें।
9. घर पर हिन्दी के समाचार पत्र/पत्रिकाएं नियमित रूप से मंगवाएं और अध्ययन करें।
10. हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करने वाली संस्थाओं को आर्थिक सहायता दे सकते हैं। हिन्दी पुस्तकालयों के विकास के लिए भी कुछ योगदान देने की कोशिश करें।
11. बच्चों को हिन्दी पढ़ने, लिखने और बोलने के लिए प्रोत्साहित करते रहें।
इस तरह आप देखेंगे की हमारी एक छोटी कोशिश हिन्दी के इस्तेमाल को बढ़ावा देगी और हिन्दी का विकास होगा।
- अमितसिंह कुशवाह,
राजेन्द्र नगर, सतना।
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