July 5, 2014

प्रभावकारी संचार (भाग - 2)

नमस्कार का चमत्कार

पहली घटना - मैं 2007 में भोपाल स्थित एक अखबार में रिर्पोटर के पद पर अपनी सेवाएं दे रहा था। वहां की सम्पादक एक महिला थीं। उनका कार्य और व्यवहार बहुुत अच्छा था। हमेशा उनका सहयोग मिलता था। मैं हर दिन जब उनसे पहली बार मिलता तो "प्रणाम" कहता। एक बार उन्होंने मुझसे कहा कि तुम प्रणाम ऐसे कहते हो जैसे थप्पड मार रहे हो? मैं उनके इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीं दे पाया।

कारण यह था - अक्सर हम सभी हकलाने वाले अपनी बात जल्दी से कह देने की कोशिश करते हैं।ै किसी को प्रणाम, नमस्कार कहना भी इसी तरह का एक कार्य है। हकलाहट न हो पाए इसलिए जल्दी से मैं प्रणाम कह देता था।


क्या असर था रिश्तों पर - किसी को ठीक से नमस्कार, प्रणाम तक न कह पाने की लाचारी के कारण कई बार संबंध बिगडने लगते हैं। लोग सोचते हैं कि यह तो कुछ बात ही नहीं करता। किसी का सम्मान करना तक नहीं जानता है, आदि-आदि।

दूसरी घटना - मैं 2009 में इंदौर में रहता था। उस दौरान आदत के मुताबिक हर सुबह मार्निंग वाक पर जाता था। 2 सीनियर सिटीजन भी अक्सर रास्ते में मिलते थे, पर कभी उनसे बात करने का साहस नहीं हुुआ, कारण हकलाहट। एक दिन एक सीनियर सिटीजन में खुद आगे होकर जय श्रीराम कहा। फिर अगले दिन से मेरी भी हिम्मत बढ गई। मैं खुद आगे होकर नमस्कार कहने लगा।

समस्या क्या है - सच कहें तो हकलाने के कारण हम पहल करने से डरते हैं। हकलाहट से अधिक हमारे दिमाग पर हकलाहट का डर हावी होता है, जो हमें लोगों से मिलने, उनसे बातचीत करने से बचने की कोशिश करता है।

आपको क्या करना चाहिए - अगर आप समाज में अच्छे रिश्ते बनाना चाहते हैं तो इसकी शुरूआत नमस्कार, प्रणाम, हाय, हैलो से ही होती है। हमेशा जब भी किसी से मिलें उचित अभिवादन करें। कई बार हम इस अहंकार में रहते हैं कि हमसे उम्र में छोटा, पद में छोटा, रिश्ते में छोटा व्यक्ति ही आगे होकर हमें अभिवादन करें, इस आदत को बदलने की जरूरत है। आप खुद अपने से छोटों से अभिवादन कर लेंगे तो आपका सम्मान कम नहीं होगा बल्कि बढेगा। यह मेरे साथ कई बार हुुआ है। मैंने अपने गुरूजनों को फोन किया, तो उन्होंने पहले ही नमस्कार कह दिया। साथ ही अभिवादन करते समय चेहरे पर मुस्कुराहट एवं हर्ष का भाव होना चाहिए। उदासीभरा चेहरा लेकर नमस्कार करना, प्रभावी नहीं होता। सच तो यह है कि प्रभावकारी संचार एवं संवाद की शुरूआत एक अच्छेे अभिवादन के साथ ही होती है।

- अमितसिंह कुशवाह,
सतना, मध्यप्रदेश।
09300939758

2 comments:

Satyendra said...

बहुत सच....

ABHISHEK said...

ye bade pate ki baatein hein jinko hum anjane me bhool jaate hein. Bahut sundar Amitji:)