December 23, 2010

- जिन्दगी -

गिर कर संभलना,
ही जिंदगी है,
खोकर पाना
ही जिन्दगी है,
जब आए तेज हवा का झोंका,
तब संभलना ही जिंदगी है.
हार क्यों मानें चुनौतिओं से,
हर जंग जीतना ही जिन्दगी है.
स्याह रात से क्या डरना,
सुबह का उजाला ही जिन्दगी है.
मन हो उदास और अकेला,
उल्लास का अहसास ही जिंदगी है.
निराशा दूर भागेगी,
आशा और विश्वास ही जिन्दगी है.
राह में कोई न दे साथ,
फिर भी मंजिल तक पहुँचना ही जिन्दगी है.

- अमितसिंह कुशवाह,
इंदौर, मध्य प्रदेश. (भारत)
Mobile No. 093009-39758

3 comments:

vaibhav Talegaonkar said...

Amit thanks for sharing.its really nice.

Satyendra said...

अति सुन्दर !

Manohar said...

kitni badiya kavita hai Amit, keep writing. thanks for sharing c:)