June 8, 2015

Testimony

Testimony By Kulwindar (Participant of March2015 workshop)


पिछली वर्क शॉप 27 से 29 मार्च तक हुई
मुझे नही पता था की Tisa क्या है
1 PWS ने मुझे पहली बार Tisa word  से रूबरू करवाया
24march को 1 PWS  का message आया :  tisa के grp me add ho.
मैंने सोचा कोई टाइपिंग mistake हो गयी होगी
क्योंकि मैंने तब तक Tisa word पहले कभी नही सुना था
तब उसने मुझे Tisa के बारे में बताया और workshop organisor  का no. दिया
मैने 25 को शाम को Workshop organiser  ko call किया और Tisa and wrk shop के बारे में पता किया
कैसे भी करके में हर्बर्ट पुर पहुँच गया
वो 3 दिन मेरी लाइफ के सबसे ज्यादा stress free थे।
पहले मैं सोचता था की सिर्फ मैं ही हकलाता हूँ।मैंने इतने ज्यादा stammerer पहले नही देखे थे।
तब बहुत ख़ुशी हुई की मैं अकेला नही हूँ जो हकलाता हूं।
वहां sachin sir से मिलके बहुत अच्छा लगा।
पहले मै सोचता था की एक हकला इन्सान ज़िन्दगी में कुछ नही कर सकता ।क्योंकि हम बोल ही नही सकते।हम अपने आप को represent ही नही कर सकते। तो क्या फायदा study करने का ,क्या फायदा मेहनत करने का।

एक stammerer की लाइफ में fun और enjoyment की कोई जगह नही होती।
और ना उनकी कोई girlfriend होती है।ना वो किसी लड़की से प्यार कर सकते है ।ना कोई लड़की उनसे प्यार क़र सकती है।
Work shop से पहले मैं career को लेकर ज्यादा stress में रहता था कि क्या  होगा कैसे होगा।
लेकिन work shop में आने के बाद मेरा नजरिया पूरी तरह बदल गया।
हकलाना कोई बीमारी नही है।
ये हमने अपने मन के अंदर डर बना लिया है कि अगर हम हकलाये तो लोग मजाक करेंगे ।
दूसरे हमारे बारे में क्या सोचेंगे।
लेकिन सामने वाला कुछ नही सोचता।
ये हम खुद सोच लेते है की सामने वाला हमारे बारे में सोच रहा है और क्या सोच रहा है।
हम बस इसी सोच में अपनी बहुत सारी energy waste कर रहे होते है।हम हकलाते तभी है जब हम इसके बारे में सोचते हैं ।
पहले मै अपने आपको छुपाता था कि कोई मुझे ये ना कह दे की ये हकला रहा है।
मैं पब्लिक से दूर रहता था। मै पब्लिक में बाते नही करता था की किसी को पता न चल जाये की मै हकलाता हूं।
जब मैं अपने दौस्तो से बात करता कुछ इस तरह बोलता की उनको पता न चले।
मैं अपने आप में खुश था की मेरे दौस्तो को पता नही चला की मैं हकलाता हु।
but वो सब जानते थे ।
लेकिन मुझे उन्होंने कभी नही कहा की क्या बोल रहे हो,कैसे बोल रहे हो।हम जितना इसको छुपाते है ये उतना ज्यादा दुःख देती है।
मैं मानने को तैयार नही था कि मै हकलाता हु।
workshop के बाद मैं इस चीज को accept कर चूका हूँ कि हाँ मै हकलाता हूँ।
वहां जाकर पता लगा की stammering हमारे जीवन में ,हमारे करियर में कोई रूकावट नही हँ। एक समझदार आदमी कभी नही कहता कि देखो ये हकला रहा है।
छोटी सोच के आदमी ही ऐसी बाते करता है ।हमारे अंदर क्या नही है जो दूसरों के पास हँ।
हम क्यों अपने आप को छोटा समझ् रहे हैं talent सब के अंदर होता है । हमें अपने आपको कोसना नही चाहिए।
कई लोग कहते है की हकलाने वाले normal इंसान नही होते।
और मुझे ये फक्र है ये सुनकर की हाँ मै normal नही हु।
क्योंकि अलग काम वही करता है जो normal नही होता।
एक stammerer का दिमाग एक normal person से तेज चलता है।
ये बात scientificaly prove हो चुकी है।
वहां जाने के बाद मै stammering को बोझ नही मानता। हम कर भी क्या सकते है।जो है सो है। बस अपने लक्षय पर ध्यान दो।
अगर हम हकलाते भी है तो कोई हमारा क्या उखाड़ लेगा।
किसी की बातों पर ज्यादा दिमाग मत ख़राब किया करो।क्योंकि दुसरो के बारे में बातें वहीँ करता है जो उनसे पीछे होता है।
ये बात समझ् लो की जो तुम्हारे पीठ पीछे बात करता है तुम उनसे एक कदम आगे हो।
workshop के बाद मेरा mind बिलकुल open हो चूका है।लोग हमारे बारे में कुछ नही सोचते सिर्फ हम ही सोचते है की वे क्या सोचते है।
लोगों के पास इतना टाइम नही है किसी के बारे में इतना सोचे।
stammering की problem हमारी सोच के कारण है।
हमें अपनी सोच बदलनी होगी।
हमारे पास सब कुछ है जो होना चाहिए ।बस थोडी हिम्मत और मेहनत कीजिये दिल से।
लोगों का काम होता है कहना।
आप अच्छा काम करो या बुरा लोगो को तो कहना है।
और बातें उसी की होती है जिसमे कुछ बात होती है।
कुछ बड़ा काम कर गुजरने की हिम्मत रखो यारो तभी तो
दुनिया तुम्हे सलाम ठोकेगी।
और जिस दिन आप किसी मुकाम पर पहुँच जाओगे तब आपकी कमजोरी(stammering)आपकी ताकत बन जायेगी।
अपने आपको किसी से कम मत आंको ।
जो लोग इस association से नए जुड़े है मैं उन लोगो से रिक्वेस्ट करता हु की एक बार इस वर्कशॉप को जरूर attend करें। आपकी जिंदगी बदल जायेगी।
ज़िन्दगी के प्रति आपकी सोच बदल जायेगी।
अगर हम डूबने के  डर से पानी में नही उतरेंगे, तो हम तैरना कैसे सीखेंगे।
हम सूखे हुए तालाब में तैरना नही सिख सकते। तैरना सिखने के लिए हमें पानी से भरे तालाब में ,पानी के अंदर जा कर सीखना होगा।
दोस्तो पहल तो हमें ही करनी होगी ।
हमें खुद चलकर जाना होगा ,अपनी मन्ज़िल तक।
मंज़िल खुद हमारे पास कभी नही आएगी।
वो workshop मेरे लिए यादगार रही।नए दोस्तो से मिलके बहुत आच्छा लगा।
 वो moment मुझे आज भी याद है जब होटल में मैंने फर्स्ट टाइम  PWS के room में enter किया था। मैं उस पल को बयां नही क़र सकता। delhi वालो stammerers participants से मिलकर बहुत अच्छा लगा।
नए लोगों से मैं एक बार फिर कहना चाहूँगा की एक बार workshop jaroor attend करें।
💥Attend करके देखें आच्छा लगता है।💥

Kulwinder , haryana
mob. 09996641532

3 comments:

Satyendra said...

बहुत बहुत धन्यवाद कुलविन्दर...और हेमन्त !
कुछ नया पाना है तो कुछ नया करना भी पड़ेगा...सच ?

Dehradun SHG said...

Bahut Badhiya Kulwinder. Aap ki is koshish se bahut logo ko help milegi.

प्रभु ! कृपा हि केवलम् said...

Thanks Kulwindar ji

कुलविंदर की तरह एक ओर Workshop Participants अपने पिछले march 2015 वर्कशाप के अनुभव साझा करना चाहता है। अगर कोई उसको फोन कर उससे सारी कहानी जानकर Blog पर पोस्ट कर सके तो बडा अच्छा होगा ।
उस ने आमेर और सतना दोनो से speech therapy ली थी, वो बोलता है 50000/- लगाकर 65दिन प्राइवेट speech therapy center मे रहकर भी उतना फायदा नही हुआ, जितना TISA workshop मे 3 दिन आने से हुआ । he is अमित दीक्षित from up +919795651560
कुसवाहा जी या अभिषेक from शिमला अगर ऐसा कर सके तो क ई ओर लोग TISA try करने को प्रेरित होगे