दोस्तों नवंबर २०१४ मुझे विचार आया की क्यों ना एक स्कूल खोला जाये मैंने अपने घरवालो से कहा घरवाले कहे की विचार तो अच्छा है लेकिन अपने घर से एक किमी की रेंज में ही आठ स्कूल है कैसे चलेगा वो भी बहुत
पुराने और जमे हुए है । मैंने कह दिया की मै स्टूडेंट लाऊंगा । फिर ३-४ लाख रूपये खर्च करवा दिया मेज, कुर्सी, बोर्ड और जो भी स्कूल के लिए जरुरत होती है ।कुछ मैडम भी रख लिए । घर घर जाकर स्कूल के लिए सर्वे करने लगा । और मजेदार बात ये रही की ४ महीने तक कोई स्टूडेंट फ्री में भी पढ़ने नही आ रहा था । मेरे कुछ पड़ोसी है वो बार बार कहते थे की मुझसे लिख कर ले लो ये स्कूल नही चलेगा । मैंने अपने घर वालो से कहा की उनके जो नजदीक है वो अपने बच्चो को पढ़ने के लिए भेजे लेकिन लोगो ने कहना शुरु किया की नहीं हमें अपने बच्चो की जिंदगी बर्बाद नही करनी है ऐसे स्कूल में डाल कर । कुछ दिनों बाद मैडम भी चली गई ।
मेरी हिम्मत नही हो रही थी की मै अपने घरवालो को क्या जबाब दू । अकेले लोगो का सामना करने की हिम्मत नही थी । कैसे लोगो को बिश्वास दिलाये की अपने बच्चो को पढ़ने के लिए मेरे स्कूल में भेजे मुझे तो खुद ही बात करने से डर लगने लगा था । हकलाना अपने चरम पे हो गया था फिर भी मै दो हजार से ज्यादा लोगो से मिला और मुझे अच्छा लगा जब लोग पूछते थे की आप टीचर है या प्रिंसिपल है और जब आप को ही बात करने नही आती तो आप मेरे बच्चो को कैसे पढ़ायेंगे मै कहता की टीचर क्लास लेंगे मै नही । मुझे कुछ समय बाद लोगो के प्रश्नो का सामना करने में मजा आने लगा है । ब्लॉक लम्बे लम्बे आ रहे है । लोगो से बात करने के बाद थकान हो जा रही है । अच्छी बात ये है की डेढ़ सौ से ज्यादा बच्चो के एडमिशन हो गए है और उनमे से भी कुछ लोग अपने बच्चो का एडमिशन करा रहे है जो पहले लिख कर दे रहे थे की ये स्कूल नही चलेगा । और मै अपनी स्पीच और लाइफ को एन्जॉय कर रहा हु लोगो से मिलकर । और प्रतिदिन बच्चो का एडमिशन कर रहा हु उनके मौखिक परीक्षा ले रहा हु बच्चो के मम्मी पापा को भी गाइड कर रहा हु । लोगो के घर जा जा कर सर्वे भी कर रहा हु । छोटे छोटे बच्चे तो मुझे रुक रुक कर बोलने वाले मास्टर जी कहने लगे है उनसे बात करके मजा भी आता है । समाज से जुड़ कर खुद को अच्छा लग रहा है ।
आपका दोस्त
अभिषेक कुमार वर्मा
पुराने और जमे हुए है । मैंने कह दिया की मै स्टूडेंट लाऊंगा । फिर ३-४ लाख रूपये खर्च करवा दिया मेज, कुर्सी, बोर्ड और जो भी स्कूल के लिए जरुरत होती है ।कुछ मैडम भी रख लिए । घर घर जाकर स्कूल के लिए सर्वे करने लगा । और मजेदार बात ये रही की ४ महीने तक कोई स्टूडेंट फ्री में भी पढ़ने नही आ रहा था । मेरे कुछ पड़ोसी है वो बार बार कहते थे की मुझसे लिख कर ले लो ये स्कूल नही चलेगा । मैंने अपने घर वालो से कहा की उनके जो नजदीक है वो अपने बच्चो को पढ़ने के लिए भेजे लेकिन लोगो ने कहना शुरु किया की नहीं हमें अपने बच्चो की जिंदगी बर्बाद नही करनी है ऐसे स्कूल में डाल कर । कुछ दिनों बाद मैडम भी चली गई ।
मेरी हिम्मत नही हो रही थी की मै अपने घरवालो को क्या जबाब दू । अकेले लोगो का सामना करने की हिम्मत नही थी । कैसे लोगो को बिश्वास दिलाये की अपने बच्चो को पढ़ने के लिए मेरे स्कूल में भेजे मुझे तो खुद ही बात करने से डर लगने लगा था । हकलाना अपने चरम पे हो गया था फिर भी मै दो हजार से ज्यादा लोगो से मिला और मुझे अच्छा लगा जब लोग पूछते थे की आप टीचर है या प्रिंसिपल है और जब आप को ही बात करने नही आती तो आप मेरे बच्चो को कैसे पढ़ायेंगे मै कहता की टीचर क्लास लेंगे मै नही । मुझे कुछ समय बाद लोगो के प्रश्नो का सामना करने में मजा आने लगा है । ब्लॉक लम्बे लम्बे आ रहे है । लोगो से बात करने के बाद थकान हो जा रही है । अच्छी बात ये है की डेढ़ सौ से ज्यादा बच्चो के एडमिशन हो गए है और उनमे से भी कुछ लोग अपने बच्चो का एडमिशन करा रहे है जो पहले लिख कर दे रहे थे की ये स्कूल नही चलेगा । और मै अपनी स्पीच और लाइफ को एन्जॉय कर रहा हु लोगो से मिलकर । और प्रतिदिन बच्चो का एडमिशन कर रहा हु उनके मौखिक परीक्षा ले रहा हु बच्चो के मम्मी पापा को भी गाइड कर रहा हु । लोगो के घर जा जा कर सर्वे भी कर रहा हु । छोटे छोटे बच्चे तो मुझे रुक रुक कर बोलने वाले मास्टर जी कहने लगे है उनसे बात करके मजा भी आता है । समाज से जुड़ कर खुद को अच्छा लग रहा है ।
आपका दोस्त
अभिषेक कुमार वर्मा
8 comments:
Hatts off to your courage Abhishek.
Very inspirational post.
Tumhara write-ups path ke sachmuch maza aa gaya
अभिषेक ,आपने कमाल कर दिया... ये है तीसा की स्प्रिट ...और विस्तार से यह अनुभव बांटें...
बधाई हो अभिषेक जी. बहुत ही सुखद और प्रेरणादायी पोस्ट. मैंने अब तक यह सीखा है की अगर हम कुछ करने की ठान लें तो हकलाहट कोई बाधा नहीं है.
wow abhishekji
आप हम सभी के लिए प्रेरणा हैं.
धन्यवाद
भैय्या तु तो कमाल कर देहला..हमार दिल खुस हो गइल ...ससससचिन
मजा आ गया आपकी पोस्ट पढकर ।
किसी ने ठीक ही कहा है
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झुकता है आसमान
झुकाने वाला चाहिये....
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