एक हकलाने वाले दोस्त से कल फोन पर बातचीत हो रही थी। वह बहुत निराश और दुःखी है। 5 माह से सेलेरी नहीं मिली। वह उदास रहता है। हकलाहट को नियंत्रित नहीं रख पाता। स्पीच तकनीक का इस्तेमाल नहीं कर पाता। माता, पिता, पत्नी, भाई, बहन सारे रिश्ते बेमानी लगते हैं। पैसा खुदा नहीं पर खुदा से कम भी नहीं, यह विचार हमेशा दिमाग में घूमता रहता है।
अपने करीबी मित्र की यह वेदना सुनकर मैं सोच में पड़ गया। मन में सवाल उठा कि क्या हकलाहट और पैसे का कोई संबंध हो सकता है? निश्चित ही धन हमारे जीवन की कई जरूरतों को पूरा करता है। इसलिए धन की कमी से मन में उदासी, झल्लाहट, गुस्सा आना एक स्वाभाविक बात है।
कल रात ही मैं महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की जीवनी पढ़ रहा था। दुनिया को महान साहित्यिक कृतियों का अनुपम उपहार देने वाले निराला की झोली खाली थी। जिन्दगी का अधिकतम समय आर्थिक तंगी में गुजारना पड़ा। इसी तरह मुंशी प्रेमचंद का जीवन भी धन के अभाव में ही गुजरा। इसके बावजूद उनकी कहानियों ने समाज को एक नई दिशा दी।
इन दो साहित्यकारों के जीवन को देखकर तो यही लगता है कि धन ही सबकुछ नहीं है। धन आपको आगे बढ़ने, समाज के लिए कुछ बेहतर करने और अपना स्वयं का जीवन संवारने में बाधा नहीं है।
जब हम धन की कमी से गुजर रहे हों तो किसी के सामने हाथ पसारने में बहुत जिल्लत महसूस होती है। ऐसा लगता है कि हमारा स्वाभिमान खत्म हो गया है। यह स्थिति पीड़ादायी होती है।
आर्थिक परेशानियों के दौरान अपना आपा खोना कोई समझदारी वाला कदम नहीं हो सकता। स्वनियंत्रण रखना ही होगा। हमें यह समझना चाहिए कि हमारे उपर देश एवं समाज की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, उनके लिए हमें कुछ करना है। अगर हम खुद का आपा खो बैठेंगे तो समाज के लिए क्या कर पाएंगे?
ऐसे हालात में तनाव से बचने के लिए जीवन के प्रति सकारात्मक सोच बनाएं। खुद और अपने जीवन को दोष न दें। हकलाहट को लेकर भी पाजीटिव हो जाएं। अरे! आज पैसा नहीं है तो कल आ जाएगा, लेकिन आज का दिन कभी नहीं आएगा।
आप अपने धन से कुछ लोगों को खुश कर सकते हैं, अपनी जरूरत के सामान खरीद सकते हैं, लेकिन धन से आप हर चीज पा लेंगे यह कतई संभव नहीं। क्या धन से आप हकलाहट को ठीक कर सकते हैं? नहीं। दुनिया का कोई भी महंगा से महंगा स्पीच थैरेपिस्ट भी आपकी हकलाहट को ठीक नहीं कर सकता, जब तक कि आप स्वयं कोशिश न करें।
धन की कमी एक अल्पकालिक चुनौती है इसका सामना करना सीखिए। अपने जीवन को धन के कारण बर्बाद मत होने दीजिए। आपको बहुत कुछ करना है अपने लिए और समाज के लिए भी।
--
अमित 09300939758
अपने करीबी मित्र की यह वेदना सुनकर मैं सोच में पड़ गया। मन में सवाल उठा कि क्या हकलाहट और पैसे का कोई संबंध हो सकता है? निश्चित ही धन हमारे जीवन की कई जरूरतों को पूरा करता है। इसलिए धन की कमी से मन में उदासी, झल्लाहट, गुस्सा आना एक स्वाभाविक बात है।
कल रात ही मैं महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की जीवनी पढ़ रहा था। दुनिया को महान साहित्यिक कृतियों का अनुपम उपहार देने वाले निराला की झोली खाली थी। जिन्दगी का अधिकतम समय आर्थिक तंगी में गुजारना पड़ा। इसी तरह मुंशी प्रेमचंद का जीवन भी धन के अभाव में ही गुजरा। इसके बावजूद उनकी कहानियों ने समाज को एक नई दिशा दी।
इन दो साहित्यकारों के जीवन को देखकर तो यही लगता है कि धन ही सबकुछ नहीं है। धन आपको आगे बढ़ने, समाज के लिए कुछ बेहतर करने और अपना स्वयं का जीवन संवारने में बाधा नहीं है।
जब हम धन की कमी से गुजर रहे हों तो किसी के सामने हाथ पसारने में बहुत जिल्लत महसूस होती है। ऐसा लगता है कि हमारा स्वाभिमान खत्म हो गया है। यह स्थिति पीड़ादायी होती है।
आर्थिक परेशानियों के दौरान अपना आपा खोना कोई समझदारी वाला कदम नहीं हो सकता। स्वनियंत्रण रखना ही होगा। हमें यह समझना चाहिए कि हमारे उपर देश एवं समाज की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, उनके लिए हमें कुछ करना है। अगर हम खुद का आपा खो बैठेंगे तो समाज के लिए क्या कर पाएंगे?
ऐसे हालात में तनाव से बचने के लिए जीवन के प्रति सकारात्मक सोच बनाएं। खुद और अपने जीवन को दोष न दें। हकलाहट को लेकर भी पाजीटिव हो जाएं। अरे! आज पैसा नहीं है तो कल आ जाएगा, लेकिन आज का दिन कभी नहीं आएगा।
आप अपने धन से कुछ लोगों को खुश कर सकते हैं, अपनी जरूरत के सामान खरीद सकते हैं, लेकिन धन से आप हर चीज पा लेंगे यह कतई संभव नहीं। क्या धन से आप हकलाहट को ठीक कर सकते हैं? नहीं। दुनिया का कोई भी महंगा से महंगा स्पीच थैरेपिस्ट भी आपकी हकलाहट को ठीक नहीं कर सकता, जब तक कि आप स्वयं कोशिश न करें।
धन की कमी एक अल्पकालिक चुनौती है इसका सामना करना सीखिए। अपने जीवन को धन के कारण बर्बाद मत होने दीजिए। आपको बहुत कुछ करना है अपने लिए और समाज के लिए भी।
--
अमित 09300939758
3 comments:
we PWS have made habit to blame stammering on every failure in life. I seen many fluent person , who are also facing same situation , even more worse situation . I observed - generally PWS living more better life then fluent persons. People trust more on us. As fluency , good looking can affect only for short term but PWS have some valuable inner human values (intelligence, diligence, honesty, caring , helping nature ), which pay in long run.
Advise your friend to see video on youtube-
"Identify Your Soul Purpose & Experience
Abundance By Dr. Urvi Shah "
very nice post ...and very fine comment by hemant.
Good Amit! Keep writing.. Your style is becoming really good.. Content too is good!
Post a Comment