‘‘रियल में एक्सेप्टेन्स का क्या मतलब है? क्या एक्सेप्ट का अर्थ है कि लोगों से कहूं कि मैं हकलाता हूं?’’ - एक पाठक ने यह सवाल पूछा है।
हकलाहट की स्वीकार्यता एक व्यापक विचार है। लोगों के सामने स्वीकार कर लेने भर से यह पूर्ण नहीं हो जाता। हर हकलाने वाले के मन में कई विचार चलते रहते हैं। वह हकलाहट को लेकर दुःखी और परेशान रहता है। मानसिक तनाव में जीता है।
हकलाहट की स्वीकार्यता एक व्यापक विचार है। लोगों के सामने स्वीकार कर लेने भर से यह पूर्ण नहीं हो जाता। हर हकलाने वाले के मन में कई विचार चलते रहते हैं। वह हकलाहट को लेकर दुःखी और परेशान रहता है। मानसिक तनाव में जीता है।
एक्सेप्टेन्स इस सभी हालातों से बाहर निकलने का एक सही रास्ता है। जब आप हकलाहट को मन से स्वीकार करना शुरू करते हैं, तो आप अपने जीवन के प्रति ज्यादा सकारात्मक हो जाते हैं। मन में यह विचार आता है कि हां, मैं हकलाता हूं तो क्या हुआ? यह भी बोलने का एक अलग अंदाज है।
सच कहें तो एक्सेप्टेन्स बाहर से नहीं अंदर से आनी चाहिए। हम बाहर खुलकर लोगों से कहें कि हम हकलाते हैं, लेकिन अंदर ही अंदर घुट-घुट कर जी रहे हों तो यह स्वीकार्यता दोधारी तलवार की तरह हो जाएगी, जो आपको अंदर और बाहर दोनों ओर से कमजोर बनाएगी।
हकलाहट के साथ खुद का आत्मबल बढ़ाना, हर चुनौती का सामना करने की हिम्मत रखना ही सही स्वीकार्यता है। एक्सेप्टेन्स हकलाने वाले व्यक्तियों को हर पल, हर मोड़ पर मजबूत होने का मार्ग प्रशस्त करती है।
सच कहें तो एक्सेप्टेन्स बाहर से नहीं अंदर से आनी चाहिए। हम बाहर खुलकर लोगों से कहें कि हम हकलाते हैं, लेकिन अंदर ही अंदर घुट-घुट कर जी रहे हों तो यह स्वीकार्यता दोधारी तलवार की तरह हो जाएगी, जो आपको अंदर और बाहर दोनों ओर से कमजोर बनाएगी।
हकलाहट के साथ खुद का आत्मबल बढ़ाना, हर चुनौती का सामना करने की हिम्मत रखना ही सही स्वीकार्यता है। एक्सेप्टेन्स हकलाने वाले व्यक्तियों को हर पल, हर मोड़ पर मजबूत होने का मार्ग प्रशस्त करती है।
5 comments:
धन्यवाद अमित । इस मुद्दे पर फैली भृान्तियों को देखते हुए, लगता है, इस पर और भी लिखे जाने की आवश्यकता है..
LEVEL OF ACCEPTANCE
-
*Before joining TISA, Mindset of PWS with fear, shame & guilt - yes , I accept that I am a stammer. So I should be keep quite in class or in discussion as I will not be able to communicate properly. and nobody should know also that I am a stammerer.
After Joining TISA
Level-1*
Mindset of PWS with confidence- yes, I am a stammerer . I should not hide my stammering as hiding it, has increased problem many folds.
Level-2*Mindset of PWS after block - he'll not feel fear, hatred, shame or guilt. And PWS thinks - I can improve my communication skills. Still I can do more better.
Level-3*after speech block, he'll not hide it, he will start acting/ mimicry in front of his friends and start laugh on his own block.
Level-4*He is DE-SENSITIVE about block, but try to speck fluent during addressing a mass (or during workshop, in hospital OPD)
Level-5*He is DE-SENSITIVE about block And intensely try to STAMMER voluntarily during addressing a mass (or during workshop, in hospital OPD) And he starts volunteer stuttering with big block in market, block may be so big, that listener may start laugh or may complete his sentence or can give paper & pen to write down.
In my case, after such acceptance and de-sensitiveness , word started to come out automatically, with very rare small blocks.
There are so many high level of acceptance.
amit ji bilkul sahi kaha acceptance ander se aani chahiye ....
@hemant thanks for such a nice explanation
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