June 28, 2013

                 वर्तमान मे जीना शान्ति कि  कुंजी  है

अपने जरूरी काम में लगे रहिए-इसकी परवाह किए बगैर कि इससे दूसरों की नजर में आपकी इज्‍जत कितनी बढ़ जाएगी या उनसे कितनी तारीफ मिलेगी।
इस पर विचार करें : आपका अपना क्‍या है? आप अपने विचारों, साधनों और अवसरों का जो इस्‍तेमाल करते हैं, बस उतना ही। क्‍या आपके पास किताबें हैं? उन्‍हें पढ़ें। उनसे सीखें। उनमें जो बुद्धिमत्ता है, उसका उपयोग करें। क्‍या आपके पास कोई विशेष ज्ञान है? उसका पूरा और अच्‍छा इस्‍तेमाल करें। क्‍या आपके पास औजार हैं? उन्‍हें निकालें और उनसे कुछ बनाएँ या टूट-फूट की मरम्‍मत करें। क्‍या आपके पास कोई अच्‍छा विचार है? उसे और आगे बढ़ाएँ और उसके जरिए अपना विकास करें। आपके पास जो है, जो सचमुच आपका है, उसका अधिकतम उपयोग करें।
आपका सचमुच अपना क्‍या है, यह पहचान कर जब आप अपनी क्रियाओं का सामंजस्‍य प्रकृति से बैठा लेंगे, तभी आप प्रसन्‍न और चिंता-मुक्‍त जीवन जीना शुरू कर सकेंगे।

2 comments:

प्रभु ! कृपा हि केवलम् said...

absolutely right पर ज्यादातर लोग अपने भूतकाल को ही ढोते रहते हैं । जरा विचार करें तो पायेंगे कि एक मिनट पहले बीते समय की घटनाये और निद्रा मे देखे स्वपन मे ज्यादा फ़र्क नहीं है । दोनो ही हमारे नियंत्रण के बाहर है ।
हकलाहट के संदर्भ मे देखे तो जहाँ हमको तुरंत बोलना है वहाँ यदि हम volunteer stuttering के द्वारा यदि 5 सेकंड भी अपने को रोक पाये और अपने पर नियंत्रण कर ले तो कुछ ही समय मे हम हकलाहट से संबंधित psychological problem हटा सकते है और वर्तमान मे जीने की शुरुआत कर सकते हैं

Satyendra said...

bahut badhiya, Anil!