यू-टुब पर प्रसिद्ध विचारक और दार्शनिक ओशो रजनीश सुनने की कला विषय पर एक बहुत ही रोचक और सुन्दर व्याख्यान है। ओशो कहते हैं कि भगवान महावीर का दर्शन बड़ा पूर्ण है, क्योंकि उन्होंने सत्य को सुनने पर जोर दिया है। सुनकर ही हम अपने कल्याण और आत्महित का मार्ग जान सकते हैं। सुनकर ही सत्य और असत्य को पहचाना जा सकता है। गौर से सुनने वालों को हम बहुत आदर देते हैं, वे हमारे प्रिय होते हैं। ठीक से सुनने से आप परमहंस हो जाते हैं।
इन दो वीडियो को देखकर और ध्यान से सुनकर हम यह जान सकते हैं कि कम्यूनिकेशन के लिए ठीक तरह से सुनना निहायत ही जरूरी है। चाहे हकलाने वाले व्यक्ति हों या दूसरे लोग अक्सर हम सुनते समय भी अपना मन कहीं और रखते हैं, कुछ और ही सोचते रहते हैं। इससे हम सही बात सुन ही नहीं पाते। यह कमी हमारी कम्यूनिकेशन स्किल पर बुरा असर डालती है। इसलिए हमें सुनने की कला सीखनी चाहिए, तभी हम एक अच्छे कम्यूनिकेटर बन सकते है। सिर्फ बोलने भर से कोई अच्छा कम्यूनिकेटर नहीं बन सकता, बल्कि अच्छा सुनने वाला ही यह कर सकता है।
देखिए :
सुनने की कला भाग 1
सुनने की कला भाग 2
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- अमितसिंह कुशवाह,
सतना, मध्यप्रदेश।
मो. 9300939758
3 comments:
nice ...as we all know listening is important part of communication, and a good eye contact helps in communication ans make our communication more effective.....as above video are relevant but osho's view on eye was not totally justifiable(as per me :-) ).
अमित जी मुझे ओशो जी के विचार बहुत अच्छे लगे |मैंने आसपास के लोगो से बाचतीत की उनके बारे में तो अधिकतर लोगो से ये सुनने को मिला किए ये व्यक्ति काम क्रिया से समाधि के विवाद में बहुत उलझे थे, तो क्या इनका अनुकरण करना ठीक होगा|
और ये काम क्रिया को बहुत महत्त्व देते थे |मैंने उनकी कुछ पुस्तकों को भी पढ़ा हूँ|
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