June 21, 2012

अपना जीवन दूसरों को ना सौपें . . . !


हमारे जीवन में कई सारी चुनौतियां आती हैं. अकसर हम दूसरों की कही बातों, व्यवहार और उनके विचारों से प्रभावित होकर दुखी हों जाते हैं. हार जाते हैं हैं, टूट जाते हैं. जब हताशा और निराशा अधिक बढ़ जाती है तो कभी हम कोई आत्मघाती कदम उठाने का विचार करने लगते हैं.

अभी मै जब इस पोस्ट को लिख रहा हूँ, इसके कुछ मिनट पहले तक मै अपना जीवन ख़त्म करने का सोच रहा था. कारण मेरे पिताजी का मेरे साथ बुरा व्यवहार. लेकिन इस हालत से बाहर निकलने के लिए मै साइबर कैफे पर आ गया और अब सिर्फ कुछ पल में ही मेरा विचार बदल गया. मै जीवन का महत्त्व समझ गया.    

मै सोचता हूँ कि मुझे जिन्दा रहना है इस बात का फैसला मै ही क्यों ना करूँ. किसी दूसरे कि बात का बुरा मानकर खुद को खत्म करने का निर्णय कतई उचित नहीं कहा जा सकता. जीवन बहुत अनमोल है और इसे हर हाल में जीना है और बेहतर करने की कोशिश करना है यही मानकर आगे बढ़ें. हकलाहट कोई बाधा नहीं बन सकती अगर आप जीवन को सही नजरिए से समझकर जीना सीख लें.  
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Amitsingh Kushwah,
Satna (MP)
Mobile No. 093009-39758


3 comments:

Jitender Gupta said...

Sahi samay par sahi faisla.

Mujhe vishwas nahi ho raha ki aap jaisa positive thinking wala vyakti aisa kuchh soch bhi sakta hai.

Dinesh said...

Amit, it takes trememdous courage to share what you have shared. This is another level of acceptance. What you have shared will help many. There are sometimes few weak moments in life but we should not succumb to that.

Good that you did not threw away your wicket! Fight until the last ball - there will be few bouncers and few balls getting hit on the head.. but fight on.. thats life..

Satyendra said...

साहसे श्रीवसति...
लिखते रहें..