May 4, 2012

फैसला (कहानी)


क्या शादी और एक हकले से, कभी नहीं. - प्रियंका ने एक ही सांस में अपना फैसला सुना दिया. 

प्रियंका शाम को स्कूल से आज जल्दी घर लौट आई. आकर सीधे अपने कमरे में चली गई. 
थोड़ी देर बाद भाभी चाय लेकर उसके पास आईं और आगे बढ़ाते हुए बोलीं -  "एक खुशखबरी है प्रियंका". 
कैसी  खुशखबरी? - प्रियंका ने उत्सुकता में पूछा.
तुम्हारे लिए एक रिश्ता आया है - भाभी ने मुस्कुराते हुए बताया.
लड़का एक कंपनी में इंजीनियर है. परिवार संपन्न है लेकिन . . . 
लेकिन क्या भाभी? - प्रियंका ने आश्चर्य से पूछा.
लड़का थोडा हकलाता है. - भाभी ने आगे बताया.
क्या शादी और एक हकले से, कभी नहीं. - प्रियंका ने एक ही सांस में अपना फैसला सुना दिया. 
प्रियंका कि मम्मी यह सब पीछे खड़े होकर सुन रही थीं. 
उन्होंने प्रियंका को समझते हुए कहा - 'बेटी, हमें दूसरे लोगों को उनकी कमिओं से नहीं आंकना चाहिए. हर आदमी में कई अच्छे गुण और योग्यताएं होती हैं, जिन्हें जानकार और समझकर ही हमें किसी के बारे में अपनी राय कायम करनी चाहिए.
प्रियंका ने प्रश्न किया - "लेकिन मम्मी, लोग क्या कहेंगे, मेरा पति एक ऐसा व्यक्ति है जो ठीक से बात भी नहीं कर पाता?"
मम्मी बोली - "लोगों का क्या है, हर किसी कि कमी देखना और बुराई करने में लोगों को आनंद आता है. हमें दूसरों कि चिंता नहीं करनी चाहिए"
अपनी मम्मी की बातों को सुनकर प्रियंका निराश हो गई.
मम्मी ने कहा - "प्रियंका, हम तुम्हारी शादी जबरन नहीं करेंगे, पर एक बार तुम लडके से मिल तो लो?"
प्रियंका ने सहमति में सिर हिलाया.
रविवार के दिन सुबह से घर में चहल-पहल थी. लडके वाले आने वाले थे. ठीक बारह बजे वे सब आ गए. २ घंटे देर से आने पर सबने माफी मांगी.
औपचारिक मेल-मिलाप और चाय-नास्ता होने के बाद लडके सौरभ और प्रियंका को एक-दूसरे से अकेले में बात करने के लिए भेज दिया गया. 
"म.. म... म... मेरा नाम सौरभ है.' - लडके ने हकलाते हुए कहा. 
मै एक कंपनी में इंजीनिअर हूँ. 
एक बात और आपको बताना चाहता हूँ कि हकलाना कोई बीमारी नहीं है. आज हकलाने वाले लोग सामान्य लोगों कि तरह कार्य करते हैं और परिवार एवं समाज में अपनी भूमिका का निर्वहन करते हैं. 
क्या आप मेरी हकलाहट को जानते हुए मुझे अपना जीवन साथी बनाना पसंद करेंगी - सौरभ ने पूछा.
प्रियंका ने बात बदलते हुए अपने बारे में बताना शुरू किया. मैंने हिंदी साहित्य में एम.ए. किया है और स्कूल में हिंदी टीचर हूँ. मुझे कविताएँ और कहानियाँ लिखने का भी शौक है. 
यह सुनकर सौरभ बहुत खुश हुआ और बोला - "बहुत अच्छा." मुझे भी बचपन में लिखने का शौक था लेकिन अब काम में व्यस्त रहने कि वजह से लिखना नहीं हो पाता.
प्रियंका और सौरभ कि यह छोटी सी मुलाक़ात ख़त्म हुई.
सौरभ के माता-पिता ने शादी के लिए एक शर्त रखी कि वे बिना दहेज़ के और सादे समारोह में शादी करेंगे. 
प्रियंका के परिवार में सभी लोगों को सौरभ और उसकी फैमिली बहुत अच्छी लगी, परन्तु आख़िरी फैसला प्रियंका के ऊपर छोड़ दिया गया. 
रात में प्रियंका को नींद नहीं आ रही थी, वह बार-बार करवट बदल रही थी. समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे? कभी सोचती जो लोग नहीं हकलाते उनमें भी हज़ार बुराइयां होती हैं, और हकलाहट के कारण सौरभ से शादी के लिए इनकार करना मेरी मुर्खता होगी. मै कल ही तो स्कूल में बच्चो को पढ़ा रही थी - "हमेशा लोगो कि अच्छाइयों को देखो और उनका सम्मान करो. . ."
प्रियंका कि नींद जब खुली तो सुबह के ६ बजे थे. उसने फैसला कर लिया था कि वह सौरभ से ही विवाह करेगी. 
सूरज कि किरणे उसे एक नई जिन्दगी का सन्देश दे रही थीं.  

अमितसिंह कुशवाह
0 9 3 0 0 9 - 3 9 7 5 8 

11 comments:

Satyendra said...

Short and sweet story. I am sure many women do take such decisions. I have known one for a long long time! Relationships based on something deeper than looks etc. eventually work out better..
But then, people who do not want to spend their life with a pws are also perfectly okay and well within their rights..
Amit, keep writing..

Anupinder Singh said...

very very very good story amit ji....i think we all want that kind of thinking from our life-partner. keep it up, God Bless

Abhinav said...

@Amit , Good story,

I am completely agree with Sachin Sir,
Every one wants that their life partner should be perfect in all aspects. So its one's right to chose his/her life partner.

Er. Umesh said...

Thanks for sharing such beautiful story..Dil khush kar diya apne tho!!

Ashish Agarwal said...

Hi amit,

hope we will start our work soon to develop hindi version of TISA SHG manual...can i have ur contact number...mine is 9882082910

Vinay said...

अक्सर शादी के वक़्त खूबियो से ज़ायेदा कमियो पर लोगो का ध्यान जाता है,
कमिया तो सब मे होती है, कोई एक ऐसा इंसान बता तो जो परिपूर्ण हो?
कुछ खूबिया हकलाने वाले इंसानो मे सिर्फ़ और सिर्फ़ उनके हकलाने के कारण से आती है
थोड़ा उनपर भी ध्यान दीजिए!!

J P Sunda said...

Good story Amit.

Mohit kumar said...

Bohut hi pyaara aur khoobsurat kahani hai amit ji.

Harish Usgaonker said...

Very nice story Amit...

Unknown said...
This comment has been removed by the author.
jasbir singh said...

Very emotional and touching story Amit. It is a message to non- PWS for changing their attitude towards PWS.
Please keep writing.