June 25, 2011

आशा है जिन्दगी...

हमारे जीवन में अनेक उतार चढाव आते रहते हैं. कभी खुशी, कभी गम. अगर जीवन में दुःख न हो तो हम खुशी का महत्त्व नहीं समझ पाएंगे.

हकलाने वाले व्यक्तिओं (मेरे भी) के मन में अक्सर यह विचार आता है कि अगर मैं हकलाता नहीं होता तो बहुत कुछ कर सकता था, अच्छा करियर, अच्छा पैसा कमा सकता था और मेरे ढेर सारे दोस्त होते, मेरी हर जगह ज्यादा इज्जत होती. अब जरा उन बधिरों (Deaf) लोगों की जिन्दगी पर नज़र डालें जो न तो सुन सकते हैं और न ही बोल सकते हैं, फिर भी जीवन जीने और बेहतर करने की चाह में वे काफी कुछ ऐसा करते हैं जो आम इंसान शायद उतना अच्छा नहीं कर पाता. वे चित्रकारी करते हैं और यहाँ तक की फिल्मी गानों की धुन पर डांस करते हैं, जबकि वे सुन नहीं पाते.

हकलाहट की चुनौती का सामना करने और अपनी ऊर्जा का सही इस्तेमाल कर इस पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है, पर इसके लिए जीवन में सकारात्मक विचारों को अपनाकर काम करने की ज़रूरत है.

- अमितसिंह कुशवाह,
सतना, मध्य प्रदेश.
Mobile No. 093009-39758

1 comment:

Satyendra said...

Dear Amit- I wish I could write as well in Hindi as you do! Write more often- and you have lot of material to hare since, you as Special Educator meet with variety of people dealing with all kind of issues.. Yes, a PWS can learn a lot (if s/he were just a little open) from people facing other developmental, physical, mental challenges..