कई साथी हकलाहट दोष का समाधान चाहते है, लेकिन टाइम नहीं मिलता अभ्यास करने के लिए. अधिकतर हकलाने वाले लोग मेहनत करने से बचने के लिए यही बहाना बनाते है.
यहाँ एक सवाल यह है की जब आपको अपने रोज़ के काम करने, टी.वी. देखने, खाने-पीने का समय मिल जाता है तो फिर हकलाहट दूर करने के लिए प्रैक्टिस का समय क्यों नहीं मिलता है. इसका सिर्फ एक ही जबाव है की यह काम हमें उबाऊ लगता है. साथ की संकोच होता है की घर वाले और पड़ोसी क्या सोचेंगे?
अब आप ही बताइए की दुनिया में ऐसा कौन सा काम है जिसमे मेहनत और लगन की जरूरत नहीं होती है. हकलाहट दोष के समाधान के लिए निरंतर अभ्यास तो करना ही होगा. इसके परिणाम देर से मिलते हैं. इसलिए अपना धैर्य न खोएं. बल्कि निरंतर अभ्यास करते रहें.
साथ ही हकलाने वाले अधिक से अधिक लोगों से दोस्ती और बातचीत करें, इससे सकारात्मक विचारों का आदान प्रदान होता है और मानसिक तनाव को दूर करने में मदद मिलती है.
इस दिशा में अच्छी किताबें पढ़ना भी कारगर साबित होता है. मै पिछले तीन साल से 'अहा! जिन्दगी' पत्रिका पढ़ रहा हूँ और इससे मेरे जीवन में निश्चित ही सकारात्मक बदलाव आयें हैं.
कहने का मतलब यह है की हम सब कुछ कर सकते है, और अगर हमारे अन्दर इच्छाशक्ति है तो हर काम हम बड़ी ही आसानी से कर सकते है.
अब मुझे ही लीजिए, अब से दो महीने पहले तक मुझे अभ्यास करने के लिए समय ही नहीं मिलता था और आज मै दो घंटे रोज़ प्रैक्टिस करता हूँ, वह भी कई लोगों को सुना-सुनाकर. मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता की आसपास कोई सुन रहा होगा.
- अमितसिंह कुशवाह,
स्पेशल एजुकेटर (एच.आई.)
इंदौर, मध्य प्रदेश (भारत)
मोबाइल : 0 9 3 0 0 9 - 3 9 7 5 8
विकलांगता से सम्बंधित मेरे एक ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
www.specialcitizenindia.blogspot.com
2 comments:
बहुत खूब !
सचिन
Nothing happens unless first you dream. The people who say they don't have time to practice, may be their sufferings are not much or they don't have any dreams to achieve.Mr. Hritik Roshan practices daily for one hour.
Further I have learned one thing i.e. Face the Fear it goes. Avoid the Fear it grows.
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