August 9, 2016

हकलाहट बनाम विकलांगता (Stammering V/s Disability)

हकलाहट से संघर्ष के दौरान अक्सर मैं सोचता और कहता था- मेरी हकलाहट से विकलांगता की तरह है। मुझे भी विकलांगों की तरह तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई लोगों ने सुझाव दिया- तुम विकलांगता का सर्टिफिकेट क्यों नहीं बनवा लेते? तुमने अभी तक विलांगता का प्रमाण पत्र बनवाया या नहीं? इस तरह के सवाल मुझे कई बार परेशान कर देते थे। आखिर लोग क्यों नहीं समझते, क्यों नहीं जानते की हकलाहट का विकलांगता से कोई सम्बंध नहीं है। हकलाहट को विकलांगता में शामिल नहीं किया गया है।

टीसा के ब्लाॅग पर भी कुछ साथियों ने इस विषय पर चर्चा की है। कई साथियों ने सवाल उठाए हैं कि क्या हकलाहट को विकलांगता माना जाता हैं? विकलांगता का प्रमाण पत्र कैसे प्राप्त करें।

यहां एक अहम सवाल यह है कि क्या हकलाने वाला व्यक्ति खुद को विकलांग कहलाया जाना पसंद करेगा? यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि एक हकलाने वाला व्यक्ति यानी हम लोग कई सालों तक शायद यह स्वीकार ही नहीं कर पाते की हम हकलाते हैं? क्या वाकई हमें विकलांगों जैसी सुविधाएं, रियायत, छूट और आरक्षण आदि की जरूरत है?

जहां तक मेरी सोच है कि हमें विकलांग की श्रेणी में खुद को देखने की जरूरत नहीं है, लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे हैं, जिनके लिए भारतीय हकलाने वालों को प्रयास करना चाहिए, जैसे:-

भारत में मौजूदा निःशक्त व्यक्ति अधिनियम 1995 में संशोधन के लिए एक बिल राज्यसभा में लंबित हैं। बिल देखने के लिए लिंक - हिंदी English

1. यदि हम खुद को विकलांग की श्रेणी में देखना चाहते हैं, तो इसके लिए पहल हमें ही करना होगी। सबको साथ मिलकर।

2. अगर हम विकलांग की श्रेणी में शामिल हो भी गए तो हमारे प्रति समाज की मनोदशा क्या होगी? क्या वे हमें भी बेचारा, कमजोर नहीं समझेंगे? क्या सहानुभूति की नजरों से नहीं देखेंगे?

3. क्या विकलांगता का तमगा लगने के बाद हमारी योग्यता, कौशल और प्रतिभा का मूल्य कम नहीं हो जाएगा, क्योंकि तब लोग यही समझेंगे और कहेंगे, अरे! ये तो विकलांग है, इसलिए आज यहां पर है।

अगर सरकार हकलाहट को विकलांगता में शामिल नहीं करती है, तो कम से कम इतना काम जरूर कर सकती है, जिससे हकलाने वाले व्यक्ति भेदभावरहित वातावरण और समान अधिकार/अवसर प्राप्त कर सकें-

1. भारत सरकार अपने सभी विभागों और राज्य सरकारों को एक नोटिफिकेशन/सर्कुलर/एडवाईजरी जारी करे की किसी भी पद पर भर्ती के लिए आयोजित इंटरव्यू में हकलाने वाले किसी भी अभ्यार्थी को बोलने का पूरा समय दिया जाएगा, अतिरिक्त समय दिया जाएगा और सिर्फ हकलाने के कारण उसे नौकरी के लिए अपात्र नहीं समझा जाएगा।

2. ऐसे पाठ्यक्रम कोर्स जिनमें इंटरव्यू/गु्रप डिस्कशन के आधार पर एडमीशन दिया जाता है, उनके लिए भी यह बात लागू होती की हकलाहट के आधार पर किसी अभ्यार्थी को प्रवेश से वंचित नहीं किया जाएगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग/मानव संसाधान विकास मंत्रालय इस सम्बंध में एक नोटिफिकेशन जारी कर सकता है।

3. निजी कम्पनियों में नौकरी इंटरव्यू के माध्यम से ही मिलती है। भारत सरकार एक नोटिफिकेशन जारी कर कम्पनियों से अनुरोध कर सकती है कि हकलाहने वाले व्यक्ति को इंटरव्यू में पूरा मौका दिया जाए, उसकी स्किल को परखा जाए और उसकी योग्यता के आधार पर जाॅब दिया जाए, न कि हकलाहट के कारण रिजेक्ट कर दिया जाए।

4. सार्वजनिक कार्यालयों एवं सार्वजनिक सुविधाओं का लाभ उठाने में हकलाने वाले व्यक्ति को असुविधा न हो इसलिए सरकार सभी कर्मचारियों को हकलाहट के बारे में जागरूक करें। जैसे- हकलाने वाले व्यक्ति की बात को ध्यान से सुनें, उसे बोलने का पूरा मौका दें, उसकी बात नजरअंदान न करें।

5. शिक्षा प्रशिक्षण कोर्स जैसे- डिप्लोमा इन एजूकेशन, बैचलकर आॅफ एजूकेशन, माॅस्टर आॅफ एजूकेशन के पाठ्यक्रम में कहीं भी हकलाहट के विषय में कोई सटीक एवं स्पष्ट जानकारी नहीं है। ऐसे में इन कोर्स के बाद टीचिंग के लिए स्कूल जाने वाले टीचर की क्लास में यदि कभी कोई हकलाने वाला बच्चा सामने आया तो वे उसकी मदद कैसे कर पाएंगे? इसलिए शिक्षा से सम्बंधित सभी कोर्स में हकलाहट के प्रबंधन पर एक अध्याय शामिल किया जाए।

6. इन सभी बिन्दुओं के अलावा भी कई विषय ऐसे हो सकते हैं जिनमें सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता होगी।

आप सबसे अनुरोध है कि इस विषय पर अपनी राय, सुझाव और प्रतिक्रिया देने का कष्ट करें, जिससे एक व्यापक रूपरेखा बनाकर आगामी समय में टीसा के सभी साथी एकजुट होकर आगे बढ़ें।

Amit SK
09300939758

1 comment:

Satyendra said...

Thanks Amit! All the points which you have listed are worth photocopying and circulating in many schools, offices and other establishments.. Since these are in Hindi, they are so much more useful..
I hope people will read the attached bill; if nothing else, let us get more aware about these issues..
Whatever else government may or may not do- it is VERY important what we do at our level. And it is LOTS..
Keep sharing your ideas in Hindi, so that our discussion and debate can become more popular..