December 13, 2013

शर्म कैसी?

पिछले दिनों भारत के सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंधों को गैरकानूनी घोषित कर दिया है। इसके बाद से समलैंगिकों में दुःख और रोष व्याप्त है।

कोर्ट के इस फैसले के तुरंत बाद ही समलैंगिकों के संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। एक बैनर पर लिखा था- हमें समलैंगिक होने पर गर्व है!

यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि समलैंगिकों में इतनी हिम्मत है कि वे खुलकर अपने बारे में सार्वजनिक जगहों पर बातचीत कर रहे हैं, लोगों को बता रहे हैं और अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं। हालांकि समलैंगिकता के मसले पर लोगों की राय अलग-अलग हो सकती है।



हम हकलाने वालों को ऐसी घटनाओं से सीखने की जरूरत है। हम क्यों खुलकर हकलाहट को स्वीकार नहीं करते? कभी हकलाहट पर लोगों को जागरूक करने का कदम क्यों नहीं उठाते? क्या हकलाहट वाकई अपराध है या हम शर्म के कारण हकलाहट को लगातार छिपाने की कोशिश करते रहे हैं।

आज हमारे समाज में एड्स रोगियों के भी संगठन चल रहे हैं, और वे भी खुलकर चर्चा करते हैं।

आज जरूरत इस बात की है कि हम अपनी हकलाहट को ज्यादा से ज्यादा लोगों को सामने लाने की कोशिश करें। चाहे किसी भी रूप में हो। जब हम लोगों से हकलाहट के बारे में बात करेंगे, तभी हम उन्हें हकलाहट के विषय में जागरू कर पाएंगे।

- अमितसिंह कुशवाह,
सतना, मध्यप्रदेश।
09300939758

1 comment:

Satyendra said...

Right Amit! One can learn from LGBT community one thing-how to rise above the fear of social criticism and assert oneself - instead of being apologetic about the way we talk...
Times are changing-so should we.