टीसा से "संवाद" हिंदी पीडीऍफ़ पत्रिका प्राप्त हुई, जिसमे तारक जी का व्यंगात्म्त लेख किन्तु बहुत गहराई से लिखा गया लेख बहुत पसंद आया तो मैंने सोचा चलो हमसफ़र भाइयो से शेयर किया जाये, हमसफ़र का मतलब है की हमारी समस्या एक सी है और मंजिल भी एक तो हुए न हमसफ़र|
अपनी हकलाहट से तंग आकर आईने से शिकायत की क्यों औरो की तरह बोल पाता मैं,
आईने ने हँसकर कहा- खैर करो हाथ पैर तो सलामत है,
किसी अपंग की तरह चलकर देखो,
खैर करो अक्ल तो ठीक है किसी कमअक्ल की तरह सोच कर तो देखो,
खैर करो स्वयं सहायता समूह में हमदर्द तो मिले,
किसी अकेले की हालत तो समझ कर तो देखो
मैं घूरकर जोर से चिल्लाया
अपंग ही सही!
कमअक्ल ही सही!
इस हकलाहट की बेहरहमी से तो बचता!
आइने ने अचरज से पुछा जनाब आप किस हकलाहट की बात कर रहे हो? मैंने तो आपको हकलाते नहीं सुना,
सुनकर दंग रह गया मैं! सच आईने के सामने कभी हकलाया नहीं मैं, तो क्यों दुसरो के सामने फेफड़े हवा नहीं देते , मुह और जीभ अजब गजब का तालमेल नहीं देते, आखे किसी की आँखों का सामना नहीं करती |
शायद मेरे दिमाग में दो सर्किट है, एक हकलाता है और दूसरा फ़्लूएंट, मन की अवस्था निर्णय लेती है, कौनसे सर्किट का उपयोग होगा | भिन्न-भिन्न स्पीच थेरेपी, धारा प्रवाह (फ़्लूएंट) सर्किट को कसरत करते, नारद मुनि मन हकलाते सर्किट को बढ़ावा देते, विपश्यना, प्राणायाम, ध्यान, मन को शांत करते|
धाराप्रवाह सर्किट की झील में विहारने,
आदत से मजबूर मन अशांत हो उठता,
हकलाते सर्किट के दलदल में फंसने |
इस द्वन्द यूद्ध को प्रेक्षक बनकर निहारते,
एक सत्य तो साफ दीखता आईना झूठ नहीं कहता|
तारक जी और अमित जी कुशवाह के सौजन्य से,
देखिये हिंदी टाइपिंग कितनी आसान है,
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4 comments:
thants right . sir, I want to know about shg in Gwalior. plz tell me.
Excellant Mr. Tarak Gordia.
Our earliest beliefs came from our parents. As we got older our beliefs about ourselves , stammering, other people and the world we live in, were created through our experiences. The good thing is that beliefs are an inside job, created in our minds about the external world.They are not in fact in reality.
Rightly said Mirror never lie.
Give yourself a chance.
Have a nice day.
May all beings be happy.
thanks anil ji for posting ,really it is very nice poem
Anil, Thanks for posting this wonderful poem.
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