August 8, 2013

हकलाना नहीं, हक-लाना है!

फेसबुक पर हिन्दी के प्रसि़द्ध व्यंग्यकार अशोक चक्रधर से मैं जुड़ा हुआ हूं। पिछले दिनों मैंने उन्हें हकलाहट और टीसा की कोशिशों के बारे में जानकारी दी। उनका उत्तर आया- ‘‘आपको हक-लाना है। मेरी शुभकामनाएं।’’

मैं कई दिनों इस संदेश में छिपे अर्थ को समझने की कोशिश करता रहा। सोच-विचार के बाद समझ में आया कि अशोक चक्रधर जी का कहना सही है। हमें ही हक-लाना है।

हकलाना और हक-लाना दोनों में अन्तर है। देश के संविधान ने हमें अभिव्यक्ति की आजादी दी। दुर्भाग्यवश हम हकलाने वाले अपने इस अधिकार से वंचित होते रहे। कारण व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों ही हैं।

हक-लाना का मतलब एकदम सीधा और साफ है। आपको अपने बोलने के अधिकार को पाने के लिए थोड़ा कोशिश करनी होगी। घर बैठे यह अधिकार तो आपको मिलने से रहा।

परिवार, आफिस और समाज में हकलाहट पर खुलकर बातचीत करके, हकलाहट पर लोगों के भ्रम और गलत धारणाओं को दूर करके आप अपना अधिकार प्राप्त कर सकते हैं।

आपका अधिकार है कि आपको बोलने का उचित और पर्याप्त अवसर दिया जाए, लेकिन यह तभी संभव है जब आप पहल करने की हिम्मत करें। लोगों का सामना करने का जोखिम उठाने को तैयार हों।

अक्सर होता यह है कि हम हकलाने वाले कठिन हालातों से भागते नजर आते हैं। जहां भी चुनौतीपूर्ण स्थिति हो हमारी नैया डगमगाने लगती है। ऐसे हालातों से बाहर निकलकर सही संम्प्रेषण करना कोई ज्यादा कठिन कार्य नहीं है। बस, थोड़े से धैर्य और साहस की जरूरत है।

आप अपना हक ला सकते हैं, पा सकते हैं। इसके पहले दूसरे लोगों को जानना-समझना, उनकी रूचियों, भावनाओं का ध्यान रखना जरूरी है। आप हकलाते हैं इस कारण हर कोई ध्यान से आपकी बात सुनेगा, यह गलतफहमी पालना ठीक नहीं। पहले आपको उनसे जुड़ने की जरूरत है। बातचीत तो खुद ब खुद ही शुरू हो जाएगी।

अगर हक को अपने पास लाना है तो पहले खुलकर हकलाना सीखिए। हकलाहट को छिपाना नहीं, हकलाहट को दिखाना चाहिए। जितना ज्यादा हकलाहट बाहर आएगी उतना ही भीतर का अंतर्मन शांत होता जाएगा। आप बिना वजह की कोशिशों और तनाव से कोसों दूर होते चले जाएंगे।

यह भी याद रखिए कि बोलना आपका हक है तो कान खोलकर सुनना आपका कर्तव्य है। संवाद/संचार के दौरान सभी बातों का ध्यान रखना जरूरी है। सामने वाले की मनःस्थिति को भांपकर, जानकर उसके अनुकूल ही बातचीत करें तो ज्यादा श्रेयस्कर होगा।
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अमित 09300-939-758



6 comments:

Joy deep Majumder said...

One of the best post !!

vishal gupta said...

wow what a nice thought.. Hak+laana.... its really nice post.. Amit ji.. you are simply fabulous

Anonymous said...

सचमुच- हमें ही अपना 'हक' ले कर आना है ! 'हक' न तो भीख मे न ही दान मे मिलेगा़़बहुत सटीक!

Satyendra said...

Beautiful concept- Thank Chakradhar ji on our behalf!

J P Sunda said...

Amit ji, Hak-laane ke saath saath, haklane walon ko Delhi-NC main bhi lana hai ;-) A good reminder for all of us. Thanks!!

ABHISHEK said...

Bahut sundar post likha Amitji.