मैंने कुछ महीने पहले अपनी एक ब्लाग पोस्ट पर जिक्र किया था कि पड़ोस में किराना दुकान पर मूंगफली खरीदने गया और वहां दुकानदार और उसकी पत्नी मेरी हकलाहट को सुनकर हंसने लगे थे। आज शाम मैं फिर से उस दुकान की ओर गया। मुझे देखते ही वे हंसने लगे। शायद दुकानदार की पत्नी ने कहा- देखो! हकला आ रहा है।
मैंने निश्चय कर लिया कि आज बाउंसिंग में ही बोलूंगा। दुकान पहुंचकर कहा- का-का-का-कॉफी चाहिए। 20 का नोट देने पर उसने कहा- ये फटी है। मैंने कहा- ये, फ-फ-फ- फटी नहीं है। इसके बाद मैं काफी और बाकी पैसे लेकर वापस आ गया।
मैं चाहता तो बिना हकलाए और बिना बाउंसिंग किए कॉफी मांग सकता था, लेकिन जानबूझकर स्पीच तकनीक का इस्तेमाल किया। इससे अपनी हकलाहट को प्रदर्शित कर खुद को मजबूत बनाया, आत्मबल बढाया, जबकि पिछली बार मैं बहुत निराश हो गया था।
- अमितसिंह कुशवाह,
9300939758
मैंने निश्चय कर लिया कि आज बाउंसिंग में ही बोलूंगा। दुकान पहुंचकर कहा- का-का-का-कॉफी चाहिए। 20 का नोट देने पर उसने कहा- ये फटी है। मैंने कहा- ये, फ-फ-फ- फटी नहीं है। इसके बाद मैं काफी और बाकी पैसे लेकर वापस आ गया।
मैं चाहता तो बिना हकलाए और बिना बाउंसिंग किए कॉफी मांग सकता था, लेकिन जानबूझकर स्पीच तकनीक का इस्तेमाल किया। इससे अपनी हकलाहट को प्रदर्शित कर खुद को मजबूत बनाया, आत्मबल बढाया, जबकि पिछली बार मैं बहुत निराश हो गया था।
- अमितसिंह कुशवाह,
9300939758
9 comments:
bahut achcha Amit..:)
कहते हैं कि हकलाने से ज्यादा बुरा हकलाने का डर है। अगर एक बार उस डर पर विजय पा ली तो जिन्दगी हमेशा के लिये आसान हो जाती है.. बहुत खूब अमित!
@Amit ,
Mujhe samajh me nahi ata, ki hume apne haklane ko leke itne uttejit ..krodhit..vichalit..nirash hatash..rahne ki zarurat kya hai..
Humey chahiye ki hamare wyaktitv me kuch aise bhi pahlu hum nirantar viksit karte rahe jo dusro ko hamare haklahat ko nazar andaz karne me majboor kar de...
I agree with joy deep. Speaking skill is a very little part of our personality, which may be beneficial in short term. But we can work on other aspect of personality.
जयदीप, सभी लोग प्रतिकूल परिस्थितियों में निराश, हताश या क्राधित हो जाते हैं। इन पर विजय पाने की कोशिश करते रहना चाहिए। यह सब निरंतर अभ्यास से संभव है।
@Hemant:I am glad that you are few of the TISA family members who acknowledge that shaping other aspects of our personality is important..
Its like a good gardener would not just focus on the pests on his tree..he would also focus on watering it..trimming it..fertilizing it..
If he just focuses on the pests..his tree would be pest free..but would turn out to be a sad tree..
@Amit : kya hum apne haklahat ko sahajta se nahi le sakte..hamesha ek tanav ki stithi banayae rakhne ki zaroorat kya hai.khood ke andar or jinse hamara wasta parta hai unke saath...koi jang thori chedni hai hume logo ke sath..khaaskar khood ke sath..Aap vishwas kijiye apne stithi par hasna..or logo ko us hasi me involve karne se..bahot sari sthithiya sahaj ho jati hai...vastav me log itne bure bhi nahi hai..
Mujhe abhyas se koi bair nahi hai..par mere hisab se abhyas hona chahiye apne wartalaap ke content par..
If i was in your place i would gone to the shop ..and tried to connect with them on a personnal level..and then would have shared my stammering problem..asked them about their problems..and i am sure be it a pani puri wala..or a mall owner..they would empathasize with our situation....
amit ji aapke lekh pad kar hamesa kuch naya seekhne ko milta he
very good amit ji
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