हम स्टेमरिंग करने वालो को व्यक्तित्व निखारना भी जरुरी है |क्योकि हम अधिकांश समय अकेले गुजारते रहे है, तो हमें जीवन के सामाजिक व्यव्हार का कम अनुभव होता है| और इनका व्यक्तित्व लोगो की नजर में उतना प्रभावशाली नहीं होता, ऐसा उनका मानना है पर कहते है, की स्टेमरिंग करने वाले लोग आम लोगो से ज्यादा आय क्यू वाले होते है| लेकिन आय क्यू के साथ साथ समाज में भी एक उचित स्थान की आवश्यकता होती है, जो हमारे पास नहीं होता| हम जब कुछ कहते है और उसका समुचित उत्तर या लोगो का ध्यान हमारी बातों पर नहीं होता तो हम थोडा अन कांफीडेंस हो जाते है| और हमारे ऊपर डर हावी होने लगता है|जिससे हम स्टेमरिंग करने लगते है|और यही कारण है की सामाजिक परिवेश में हम स्टेमरिंग करने लगते है| जब हम दोस्तों या परिवार में होते है तो कम हकलाते है क्योकि उनके तरफ से हमें हमारी बातों में बराबर महत्त्व दिया जाता है |
चलिए आज आपको में कुछ टिप्स देता हू जिससे आप भी सामाजिक परिवेश में लोगो का ध्यान आकर्षित करवाकर अपनी बातो में उन्हें रूचि पैदा करा सकते है| नहीं तो जब हम हकलाने लगते है तो लोग हमारी बातों पर ध्यान नहीं देते|
किसी पहली मुलाकात के दौरान कुछ बातों का ख्याल रखकर आप बाजी मार सकते है-
*सामने वाले व्यक्ति को अहमियत देते हुए आत्मीयता से मुस्कराके बात करे| हाव भाव से जाहिर करे की आप उनसे बात करने में दिलचस्पी रखते है|
*व्यक्तिगत रूप से जुड़ने के लिए अपने बारे में थोड़ी बहुत सुचना देनी चाहिए|
*पहले ही सोच ले की मुलाकात पर क्या क्या बात करनी है|
*बातचीत के दौरान कम से कम आधे या दो तिहाई समय तक आई कांटेक्ट बनाये| ध्यान से सामने वाले की बात सुने| और समझने के हाव भाव (हाँ,हूँ,जी हाँ, ऐसा, अच्छा,) दर्शाये|
*सामने वाले व्यक्ति में कुछ न कुछ खासियत होती है, आपको उनकी इन खासियतो की तारीफ करनी है, तो जाहिर तौर पर उसे भी अच्छा लगेगा और वह आपका साथ भी पसंद करेगा|
इनसे बचे
*बहुत ज्यादा निजी बाते करने से बचे|खासकर अपनी परेशानियों का रोना न रोये|
*टेबल बजाना, उँगलियाँ चटकाना, पेन से खेलना जैसी हरकतों से बचे|
*बाचचीत के दौरान अनावश्यक रूप से नाम दोहराना बनावटी लगता है, ऐसा न करे|
ये मेरा अनुभव कल की शादी के रिसेप्शन का है|उस रिसेप्शन में स्कूल का एक मित्र मिला| जो उस समय स्कूल में क्लास मोनिटर था| वह एक अच्छा वक्ता भी था|आज वह एक कंपनी में असिस्टेंट मेनेजर है| मैंने उससे हाल चाल पूछा और उसने मुझसे| फिर मैंने अपने देहरादून और हकलाने के बारे में बाते की| जबसे से में टीसा वर्कशॉप अटेंड किया हूँ,मै हकलाने के बारे में उपयुक्त समय पाकर जरुर इस मुद्दे पर खुल बात करता हूँ|मैंने उससे भी इस बारे में बात की| और उससे उसके प्रभावशाली बातचीत के बारे में चर्चाकी तो तो उन्होंने मुझे ये सब बातचीत के तरीके बताये|
साभार अनिरुद्ध शर्मा(असिस्टेंट मेनेजर कन्तिशिवा फ्लोर मिल,बेतूल)
3 comments:
अनिल - आप का विश्लेषण बहुत सही है॥ और लिखें - लगातार.. बहुत अच्छा लगा।
सत्येन्द्र
अनिल जी, बहुत सुंदर बात कही है आपने। हम हकलाने वालों को सामाजिक सम्प्रेषण के समय कुछ बातों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए। आपने बहुत ही सरल तरीके से इन सब बातों पर प्रकाश डाला है। और भी आगे लिखते रहें। बधाई और धन्यवाद ...!
anil ji app ki batayi baato ka mein palan karne ki kosish karuga....thanks
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