
"हारता नहीं जो मुशकिलों से कभी,मकसद है मंजिल को पाना,
धूप में देखकर थोड़ी सी छाया, जिसने सीखा नहीं बैठ जाना,
आग जिसमें लगन की जलती है, कामयाबी उसी को मिलती है."
धूप में देखकर थोड़ी सी छाया, जिसने सीखा नहीं बैठ जाना,
आग जिसमें लगन की जलती है, कामयाबी उसी को मिलती है."
जिन्दगी का दूसरा नाम चुनौती है। यहाँ हर कदम पर चुनौती खड़ी मिलती है। हकलाने वाले साथी यह सोचतें हैं कि परिवार, समाज कोई भी हमारा साथ नहीं देता, सब हमारी हकलाहट के कारण हमें कमजोर समझते है। लेकिन अगर हम समाज पर व्यापक नज़र डालें तो पाएंगे कि यहाँ हर शख्स को दूसरे से शिकायत है। हर कोई दुखी है। कोई किसी की बात सुनना-समझना नहीं चाहता।
अब आप ही बताएं कि हम हकलाने वाले लोग फिर क्यों दूसरों कि इतनी चिंता क्यों करते हैं। अपनी चुनौती का सामना करने में हमें कुछ लोगों का सहयोग जरुर मिल जाता है, पर मंजिल तो आपको खुद ही तय करनी होगी।
इसलिए आज से दूसरों की चिंता करना छोड़ दें। खूब बाउंसिंग करें, कहीं भी, कभी भी। और प्राणायाम जरुर करें। घर पर भी नियमित अभ्यास करें। सफलता को आप खुद हासिल करेंगे।
- अमित सिंह कुशवाह,
Mo. 0 9 3 0 0 9 3 9 7 5 8
3 comments:
बहुत बढ़िया अमित जी |
yes amit ji hum haklane wale aur logo ke bare mein kitna soachete hai jo log hamare bare mein sochege........and pic is very nice :-)
very nice inspiration Amit ji...ati sunder!!
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