June 30, 2015

एक कदम स्वीकार्यता की ओर . . .

29/06/2015 को मैंने अपने आफिस के कार्य से एक बैठक आयोजित करवाई थी। इस बैठक में सरकारी स्कूल्स के 23 शिक्षक उपस्थित रहे।

शुरूआत में मैंने कहा- मे-मे-मेरा नाम अ-अ-अमित सिंह है और मैं बोलने में हकलाता हूं। अगर आप लोगों को मेरी बात समझने में कठिनाई हो तो दोबारा पूंछ सकते हैं।

इसके बाद मैंने कहा- आज हम एक बहुत ही गंभीर और संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा करेंगे। फिर मैंने शिक्षकों को विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (Children with special needs) की पहचान करने, उनकी शिक्षा और पुनर्वास से संबंधित विषयों पर विस्तार से चर्चा किया। इस दौरान एक महिला शिक्षक मेरी हकलाहट को सुनकर थोड़ा मुस्कुरा रही थी। मैंने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया। इसी दौरान मैंने कहा- हमें विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की क्षमताओं को पहचानना हैं, उनकी विकलांगता को स्वीकार करना है और उन्हें आगे बढ़ने में सहयोग करना है। उदाहरण के लिए, मैं कैसे बोल रहा हूं, हकलाकर बोल रहा हूं, रूक-रूककर बोल रहा हूं, यह महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि मैं आपसे किस विषय पर बात कर रहा, क्या संदेश आप तक पहुंचाना चाहता हूं।

मैंने शिक्षकों को अधिगम निःशक्तता (Learning Disability) के बारे में बताते हुए ब्लैकबोर्ड पर लिखा - अंग्रेजी के D और B, अंक 6 और 9 को पहचानने और उनमें अंतर समझने में ऐसे बच्चों को परेशानी हो सकती है। यह पहला मौका था जब लेक्चर देते समय मैं ब्लैकबोर्ड पर लिख पाया।

धीरे-धीरे हिम्मत आने पर मैंने शिक्षकों को कहा- आप लोग ध्यान से सुनें, अपने मोबाइल फोन बंद कर दें। ऐसे शिक्षक जो उम्र में मुझसे कई साल बड़े थे, सब मेरी बात को ध्यान से सुन रहे थे।

ऐसा लग रहा था कि किसी को मेरी हकलाहट से कोई मतलब नहीं है। एकदम सामान्य व्यवहार और प्रतिक्रिया भी एकदम नार्मल थी। लेक्चर के दौरान मेरा आई कन्टेक्ट भी काफी अच्छा था। बोलने की स्पीड भी नार्मल रही। लेकिन अभी मुझे अपनी बाडी लैग्वेज पर और ब्लैकबोर्ड वर्क पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।

- अमितसिंह कुशवाह,
सतना, मध्यप्रदेश।
09300939758

4 comments:

Satyendra said...

Good session. If we accept ourself, world accepts us too...

Dinesh said...

Bahuth Acche Amit Ji.. Apna kaam jaari rakhe..

Unknown said...

बहुत खूब अमित जी।

Unknown said...

आपका यह प्रयास हमें दूसरे व्यक्तियो से अपने आप को अलग न समझकर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता हे।